Mithilesh Yadav
10 Sep 2025
पल्लवी वाघेला
भोपाल। राजधानी की बस्ती के युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण की पहल के तौर पर कपड़े और रीसाइक्लिंग का काम शुरू किया था, जो अब स्टार्टअप का रूप ले चुका है। फरवरी से शुरू पुनर्नवा (थिंक फिर से ...थिंग्स फिर से ) केंद्र के जरिए अब शहर की बस्तियों में रहने वाली महिलाएं घर बैठे रोजगार पा रही हैं, तो वहीं युवाओं को भी दक्ष कर स्टार्टअप से जोड़ा जा रहा है। ऐसे हुई शुरुआत: यह बस्तियों के 3 युवाओं की पर्यावरण को बचाने की एक पहल थी, जो अब स्टार्टअप के रूप में रन हो रही है। बस्तियों के कई बच्चे निवसीड बचपन एनजीओ के साथ पर्यावरण संरक्षण पर काम करते आ रहे हैं।
एनजीओ के माध्यम से ही क्लाइमेट चेंज और अन्य विषयों की जानकारी के बाद आदेश रेहेंगढाले, तरुण अहिरवार और पूजा शर्मा ने मिलकर इको फ्रेंडली कॉन्सेप्ट पर पुनर्नवा की नींव रखी। 24 फरवरी से शुरू इस केंद्र में प्राथमिक रूप में कपड़े और कागज को रिसाइकल कर टोट बैग, पाउच, स्कूटर कवर, पैकिंग मटेरियल आदि तैयार किया जा रहा है। वहीं, निवसीड बचपन संस्था से मिले पुराने कागज का इस्तेमाल कर पेपरमैशी से पॉट, प्लेट और मोमेंटो तैयार किए जा रहे हैं। इस गणेश उत्सव पर तैयार इको फ्रेंडली गणेश को भी खासा पसंद किया गया।
पर्यावरण के लिए कार्यरत गुजरात बेस संस्था पर्यावरण मित्र से भी यह टीम जुड़ी थी। बीते साल नवंबर में तीन साल के लिए लोकल टू ग्लोबल प्रोजेक्ट के तहत पर्यावरण मित्र संस्था के पास फंडिंग आई। इसमें यूथ को इको फ्रेंडली स्टार्टअप रेडी करने का अवसर दिया गया। पहले इस ग्रुप ने सोचा कि बिना केमिकल के शहद तैयार करने की शुरुआत करें, लेकिन अर्बन एरिया में इसका सेटअप चुनौती था। तब रीसाइक्लिंग के काम को स्टार्टअप में बदलने का विचार आया।
फाउंडर मेंबर्स ने बताया कि वे डोर टू डोर जाकर या स्पेशल ड्राइव के जरिए कपड़े और अन्य वेस्ट मटेरियल इकट्ठा करते थे। कॉटन क्लॉथ का इस्तेमाल अधिक किया जाता है। अपने काम को लोगों के सामने लाने के लिए इन युवाओं ने दस नंबर मार्केट, शाहपुरा लेक और बड़ा तालाब आदि पर खुद अपना प्रचार शुरू किया। लोगों को बताया कि कैसे ये लोग ईको फ्रेंडली कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे हैं। लोगों से कपड़ा लेकर उन्हें बैग बनाकर दिए। धीरे-धीरे बल्क आॅर्डर भी आने लगे। यहां तक कि नागपुर और जबलपुर से भी टोट बैग के बल्क आॅर्डर आए। अब इसे बड़े लेवल पर ले जाने के लिए 7 महिलाओं को ट्रेनिंग दी है। बैग व अन्य आइटम को यह खुद कट करके देते हैं। महिलाएं स्टिचिंग करती हैं, जिनका पैसा उन्हें दिया जाता है। यदि पुनर्नवा में नए कपड़े से कुछ बनाते हैं तो उसमें भी रिसाइकल क्लॉथ का इस्तेमाल जरूर करते हैं।
एक नई शर्ट बनाने की पूरी प्रोसेस में करीब 3 हजार लीटर पानी खर्च हो जाता है। क्लॉथ रीसाइक्लिंग हो या पेपरमैशी कोशिश है कि ईको फ्रेंडली और पर्यावरण को बचाने के कॉन्सेप्ट पर ही हम काम करें। लोगों द्वारा टोट बैग और पाउच के इस्तेमाल से पॉलीथिन के इस्तेमाल में भी कमी आई है।
आदेश रेहेंगढाले, फाउंडर मेंबर, पुनर्नवा