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उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित पवित्र बद्रीनाथ धाम अपने कपाट शीतकाल के लिए बंद करने जा रहा है। दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए आधिकारिक रूप से बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होते ही धाम आधे साल तक पूजा-अर्चना के लिए स्थगित रहेगा और देवता शीतकालीन प्रवास पर चले जाएंगे।
कपाट बंद होने के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। धाम में रंग-बिरंगी रोशनियां, ताजे फूलों की माला और दीपों इसे एक दिव्य लोक जैसा बना रहे है। लगभग 10 से 12 क्विंटल फूलों से मंदिर की विशेष सजावट की गई है। श्रद्धालुओं का मानना है कि बंद होने की प्रक्रिया का साक्षी बनना बेहद पवित्र अनुभव होता है।
21 नवंबर से बद्रीनाथ धाम में पंच पूजा की शुरुआत हुई थी। इस क्रम में गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य स्थल के कपाट भी विधि-विधान से बंद किए गए।
24 नवंबर को पंच पूजा के चौथे दिन माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। प्रसाद अर्पित करने के बाद मुख्य पुजारी ने माता लक्ष्मी को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बद्रीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया।
गर्मियों के छह महीनों तक माता लक्ष्मी मंदिर परिसर के परिक्रमा स्थल पर स्थित अपने स्थान पर रहती हैं। लेकिन जैसे ही मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद होते हैं, माता लक्ष्मी को औपचारिक रूप से गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। यह प्रक्रिया बद्रीनाथ धाम की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक मानी जाती है।
कपाट बंद होने के अवसर पर इस बार बड़ी संख्या में भक्तों के पहुंचने की संभावना है। अनुमान है कि 5,000 से अधिक श्रद्धालु इस क्षण के साक्षी बनेंगे। जैसे-जैसे समय करीब आता जा रहा है मंदिर परिसर में पूजा-पाठ, भजन और वेद मंत्रों की ध्वनि माहौल को और अधिक पवित्र बना रही है।