Naresh Bhagoria
25 Nov 2025
भोपाल। अगर दिल में मजबूत इरादे हों तो फिर कितनी ही मुश्किल आएं, सफलता मिलकर ही रहेगी। यह साबित किया है भिंड के छोटे से गांव डोंगरपुरा के जैनेंद्र कुमार निगम ने। गांव में हुए परिवार के विवाद के चलते उन्हें हत्या के प्रयास जैसे मामलों में जेल जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने मेहनत और लक्ष्य का रास्ता नहीं छोड़ा और आज वे डीएसपी के पद पर चयनित हुए हैं। एमपीपीएससी की परीक्षा की तैयारियों के दौरान भी उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन वे टूटे नहीं, मंजिल के लिए डटे रहे।
जैनेंद्र निगम गांव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, उनकी जिंदगी अचानक एक ऐसे मोड़ पर आ गई, जहां पर हर कोई टूट जाता, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। दरअसल, जमीन को लेकर दबंगों से विवाद में जैनेंद्र, उनके पिता और छोटे भाई के खिलाफ केस दर्ज हुआ। पढ़ने-लिखने वाले जैनेंद्र को इस आरोप में उन्हें आठ दिनों के लिए जेल जाना पड़ा। दो साल बाद उन्हें एक बार फिर ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ा और उन्हें पिता और भाई के साथ जेल में रहना पड़ा। जेल में एक-एक दिन उन्हें साल जैसा लगता था। जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने माहौल बदलना जरूरी समझा और वे पढ़ाई के लिए इंदौर चले गए।
इंदौर जाने के बाद भी बुरे हालातों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। उनके पिता और भाइयों को हत्या के प्रयासों में जेल भेज दिया गया। उनके पिता पर एनएसए की कार्रवाई करते हुए जिला बदर किया गया। हालात मुश्किल थे, लेकिन जैनेंद्र डगमगाए नहीं। इसके बाद उनका परिवार इंदौर आ गया। लेकिन मुश्किले कहां उनके परिवार का पीछा छोड़ने वालीं थी। एक यात्रा के दौरान दिल्ली में जैनेंद्र की मां कुसुम का एक्सीडेंट हो गया। उनकी मां और छोटे भाई घायल हो गए। तब जैनेंद्र दिल्ली गए और अस्पताल में ही मां से वादा किया कि कुछ बनकर दिखाएंगे।
कुछ सालों तक इधर जैनेंद्र की पढ़ाई चलती रही उधर मुकदमों की सुनवाई। आखिरकार जैनेंद्र के परिवार के लिए अच्छा समय दस्तक दे रहा था। वे उनके परिजन सभी आरोपों से बरी कर दिए गए। 2023 में जैनेंद्र का चयन नायब तहसीलदार पद पर हुआ। उन्हें जॉइंड डायरेक्टर की पोस्ट का ऑफर भी मा लेकिन उनकी चाह सिर्फ डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी बनने की थी। संघर्ष उनका अभी भी कम नहीं था। मेन्स परीक्षा के दौरान मलेरिया और टाइफाइड जैसी परेशानी झेलनी पड़ी। हर सुबह और शाम ड्रिप लगने के बाद वह अपने पेपर देने जा सके थे। गए। 2025 में उनका सपना सच हो गया, वे डीएसपी चुन लिए गए।