Manisha Dhanwani
25 Nov 2025
अरब सागर के ऊपर से तेजी से गुजरता एक रहस्यमयी बादल… जो दिखता नहीं, पर इसके भीतर सल्फर डाइऑक्साइड की भारी मात्रा है। इथियोपिया के हैली गब्बिन ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद बना यह गैसीय प्लम अब भारत की ओर बढ़ रहा है। भारत मौसम विज्ञान एजेंसी ‘इंडियामेटस्काई’ ने देर रात इस पर नया अलर्ट जारी किया है।
सोमवार देर रात इंडियामेटस्काई ने बताया कि, इंडोनेशिया के एक सक्रिय ज्वालामुखी से निकला ऐश प्लम अब ओमान-अरब सागर क्षेत्र को पार करते हुए उत्तर और मध्य भारत की तरफ बढ़ रहा है। इस प्लम में राख की मात्रा कम है, जबकि सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) की सांद्रता अधिक पाई गई है।
एजेंसी के मुताबिक, यह बादल वायुमंडल के मिड-लेवल एटमॉस्फियर में यात्रा कर रहा है। इसका मतलब यह हवा की ऊपरी परतों में है और अभी सतह के समीप नहीं आ रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि, यह प्लम जमीन तक नहीं पहुंचेगा। इसलिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और अधिकतर मैदानी इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स पर बड़ा असर नहीं दिखेगा। कहीं-कहीं आसमान सामान्य से अधिक धुंधला हो सकता है, पर यह हल्का और अस्थायी प्रभाव होगा। कुछ स्थानों पर बहुत हल्के राख के कण गिरने की संभावना है, लेकिन इसे गंभीर स्तर का ऐशफॉल नहीं माना जा रहा।
इंडियामेटस्काई के अनुसार, इस गैसीय बादल का सबसे ज्यादा प्रभाव हिमालयी इलाकों और यूपी के तराई क्षेत्र में देखा जा सकता है। इसका कारण यह है कि प्लम का एक हिस्सा हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से टकराने के बाद नीचे उतर सकता है, जिससे SO₂ की सांद्रता बढ़ सकती है।
प्रभावित माने जाने वाले प्रमुख क्षेत्र:
यहां संवेदनशील लोगों, खासकर दमा और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
प्लम ऊपरी वायुमंडल में है, इसलिए एयर ट्रैवल पर इसका असर अधिक संभावित है। ऐसी स्थितियों में विमानन कंपनियां आमतौर पर उड़ानों के रूट बदलती हैं, ऊंचाई में जरूरी बदलाव करती हैं, कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को विलंबित या रद्द भी करना पड़ सकता है। भारत के DGCA और कई अंतरराष्ट्रीय एविएशन एजेंसियां इस बादल की मूवमेंट को लगातार मॉनिटर कर रही हैं।
एहतियाती जांच के कारण एयर इंडिया ने कई उड़ानें रद्द कर दी हैं। एयरलाइन के मुताबिक, यात्रियों और क्रू की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसी वजह से यह कदम उठाया गया है।
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25 नवंबर की रद्द रद्द उड़ानें
इंडियामेटस्काई ने स्पष्ट किया है कि यह घटना कोई बड़ा स्वास्थ्य संकट नहीं है, क्योंकि प्लम सतह से काफी ऊपर है। फिर भी अस्थमा मरीज, COPD मरीज, बुजुर्ग, छोटे बच्चे, हिमालय और तराई इलाके में सतर्क रहें, क्योंकि SO₂ के स्तर में मामूली बढ़ोतरी भी इनमें जलन या सांस में दिक्कत पैदा कर सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बादल कुछ दिनों तक भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर रहेगा। इसके बाद इसकी दिशा बदलकर चीन की ओर बढ़ने लगेगी। हालांकि, इसकी मौजूदगी के दौरान भारत में बड़ी पर्यावरणीय या स्वास्थ्य संबंधी समस्या की आशंका नहीं है।