प्रीति जैन- सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सबसे ज्यादा शिकार सेलेब्स होते हैं। हाल में कांस में ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी आराध्या की अपीरियंस को किसी ने सराहा तो किसी ने ओवरएक्टिंग करती लड़की करार दिया। वहीं पिछले दिनों शाहरुख खान की बेटी सुहाना की फिल्म आर्चीज रिलीज हुई थी, जिसमें उनकी एक्टिंग का मजाक उड़ाया गया। यह तो बात हुई सेलिब्रिटीज की। आम लोग भी सोशल मीडिया पर किसी न किसी बात को लेकर ट्रोलिंग और नफरत भरे कमेंट्स का शिकार हो जाते हैं, जिसका हालिया परिणाम है, चेन्नई में आईटी प्रोफेशनल महिला द्वारा सुसाइड करने का मामला, जिसने बच्चे के प्रति लापरवाही दिखाने को लेकर हुई ट्रोलिंग के बाद यह कदम उठाया। क्या वाकई ट्रोलर्स किसी की जिंदगी में इतना महत्व रखते हैं कि उसके लिए अपनी जान दे दी जाए। इस बारे में साइकोलॉजिस्ट व काउंसलर्स से बात करके जाना कि आखिर ट्रोलिंग को नजरअंदाज करने का क्या तरीका है।
चेन्नई मेें आईटी प्रोफेशनल महिला ने अपने बच्चे से ज्यादा ट्रोलर्स की फिक्र में सुसाइड जैसा कदम उठा लिया। यह वाकई चौंकाने वाला मामला है। सोशल मीडिया की दुनिया भले ही फोन तक सीमित है लेकिन इसका गहरा असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। कई बार व्यक्ति परेशान होकर डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। आत्महत्या की सोचने लगता है या कभी-कभी कर भी लेता है। पिछले कुछ सालों में देश में ऐसे कई मामले सामने आए भी हैं।
ट्रोलिंग का मतलब है चिढ़ाना या खिंचाई करना। निगेटिव सोच रखने वाले सोशल मीडिया यूजर्स ऑनलाइन नफरत फैलाते हैं। ट्रोलर्स की खासियत होती है कि वह ग्रुप में ट्रोल करते हैं, फेक अकाउंट बनाकर सोशल नेटवर्क पर नफरत फैलाते हैं, तो सवाल उठता है कि किसी को ट्रोलर्स क्या कह रहे हैं, इसकी फ्रिक क्यों करना चाहिए। हमें यह सबक सेलेब्स से सीखना चाहिए जो कि दिन-रात ट्रोलिंग का शिकार होने के बाद भी अपना कॉन्फिडेंस कम नहीं होने देते हैं। ऐश्वर्या राय को उनके बोटोक्स लेने तक पर लगातार ट्रोल किया जा रहा है लेकिन वे इससे अप्रभावित हैं और न ही पलटवार करती हैं क्योंकि जो उनके बारे में बोल रहे हैं, वे न तो उन्हें जानती हैं और न ही उन्हें फर्क पड़ता है, क्योंकि वे अपना टैलेंट जानती हैं और आत्मविश्वासी हैं। - डॉ. शिखा रस्तोगी, काउंसलर
ट्रोलर्स की दूसरों को परेशान करने की मानसिकता होती है। उनकी सोशल मीडिया पर असली पहचान नहीं होती। लेकिन आप यदि इस पर प्रतिक्रिया देते हैं तो वे अपनी मनचाही चीज पा लेंगे क्योंकि वे यही चाहते हैं कि आप रिस्पॉन्ड करें, जब आप नजरअंदाज कर देंगे तो वे खुद ही चुप हो जाएंगे। ऐसे अकाउंट्स को ब्लॉक कर दें और उनकी थ्रेड फॉलो न करें। - रघु पांडे, आईटी प्रोफेशनल
जब किसी में लाइफ स्किल्स मैनेजमेंट की कमी होती है, तो वह इसे सहन नहीं कर पाता और ट्रोलिंग का शिकार हो जाता है। यह समझने की जरूरत है कि सोशल मीडिया पर मौजूद फ्रेंड्स ही जब एकदूसरे को नहीं जानते तो फिर ट्रोलर्स तो बिल्कुल अनजान लोग हैं, उनके कहने का असर अपने दिलो-दिमाग पर लेने का कोई मतलब नहीं है। - डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, साइकेट्रिस्ट