Naresh Bhagoria
16 Nov 2025
Hemant Nagle
16 Nov 2025
Hemant Nagle
16 Nov 2025
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने देश में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक से निपटने के लिए कुत्तों को स्कूल,कॉलेज और बस स्टैंड से हटाकर शेल्टर होम भेजने का आदेश जारी किया था। लेकिन इस आदेश के खिलाफ कई सामाजिक संस्थाए सड़कों पर उतरी हैं। इसी कड़ी में रविवार को राजधानी भोपाल के ऋषभदेव पार्क में पशु-अधिकार कार्यकर्ता और पशु प्रेमी संस्थाएं एकट्ठा होंगी।
इसकी जानकारी बताते हुए पीएफए की स्टेट प्रेसीडेंट स्वाति गौरव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे इस प्रदर्शन में कई शहरों के एनिमल एक्टिविस्ट, वॉलंटियर्स, रेस्क्यू ग्रुप्स और समाजसेवी संगठन शामिल हैं। उनका कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश न केवल मौजूदा पशु क्रूरता निवारण कानून के खिलाफ है, बल्कि सामुदायिक कुत्तों के अधिकारों और सह-अस्तित्व की भावना पर भी आघात करता है।
कुत्तों को होम शेल्टर भेजने के फैसले पर एक्टिविस्ट्स ने कहा है कि देश में लाखों सामुदायिक कुत्ते हैं और उन्हें हटाने का निर्णय न मानव दृष्टि से सही है और न ही व्यावहारिक। इस बारे में उनका मानना है कि यह आदेश उस वैज्ञानिक और कानूनी प्रक्रिया से भी विपरीत है, जिसमें कैप्चर-नसबंदी-टीकाकरण (ABC Programme) को ही सबसे प्रभावी तरीका माना गया है। स्वाति ने आगे यह भी बताया कि आज का प्रदर्शन एक राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक है। प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट और सरकार दोनों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है कि कुत्तों को हटाने के बजाय नसबंदी, वैक्सीनेशन, समुदायिक देखभाल और कानून-आधारित समाधान पर अधिक ध्यान दिया जाएं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों और पशुओं को हटाया जाए। साथ ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी कर कहा कि पकड़े गए कुत्तों को दोबारा उसी जगह नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि उन्हें शेल्टर होम में शिफ्ट करा जाएगा। शीर्ष अदालत ने यह मामला 28 जुलाई को खुद संज्ञान में लिया था, जब एक मीडिया रिपोर्ट में दिल्ली में बच्चों को कुत्तों के काटने और रैबीज के मामलों का जिक्र था। अब कोर्ट ने इसका दायरा पूरे देश तक बढ़ा दिया है।