
नई दिल्ली। आम चुनाव-2024 में चुन कर आए 93 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं जो 2019 के 88 प्रतिशत के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक है। चुनाव अधिकार निकाय एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने उम्मीदवारों के नामांकन के साथ दाखिल हलफनामा के विश्लेषण के आधार पर यह जानकारी दी है। एडीआर के मुताबिक अगली लोकसभा में शीर्ष तीन अमीर सदस्यों में 5,705 करोड़ की संपत्ति के साथ तेदेपा के चंद्र शेखर पेम्मासानी, 4,568 करोड़ रु. की संपत्ति के साथ भाजपा के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी और 1,241 करोड़ रु. की संपत्ति के साथ भाजपा नेता नवीन जिंदल शामिल हैं। पेम्मासानी आंध्र प्रदेश के गुंटुर से जीत कर आए हैं वहीं विश्वेश्वर रेड्डी तेलंगाना में चेवल्ला से और नवीन जिंदल हरियाणा के कुरुक्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। लोकसभा के लिए निर्वाचित 543 सदस्यों में से 504 करोड़पति हैं।
2019 की लोकसभा में 475 (88 प्रतिशत) और 2014 की लोकसभा में 443 (82 प्रतिशत) सदस्य करोड़पति थे। संसद के निचले सदन में करोड़पतियों के बढ़ने की परिपाटी 2009 से देखी जा रही है, तब 315 (58 प्रतिशत) सदस्य करोड़पति थे। भाजपा के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 227 (95 प्रतिशत), कांग्रेस के 99 में से 92 (93 प्रतिशत), द्रमुक के 22 में से 21 (95 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 29 में से 27 (93 प्रतिशत) और सपा के 37 उम्मीदवारों में से 34 (92 प्रतिशत) ने एक करोड़ रु. से अधिक की संपत्ति घोषित की है। एडीआर के मुताबिक आप के सभी तीन, जनता दल यूनाइटेड के सभी 12 और तेदेपा के सभी 16 विजयी उम्मीदवार करोड़पति हैं। एडीआर ने उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि के आधार पर उनकी जीत की संभावनाओं का भी विश्लेषण किया है।
सभी 121 निरक्षर प्रत्याशियों को करना पड़ा हार का सामना
लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 121 निरक्षर उम्मीदवार खड़े हुए थे और सब के सब हार गए। इस लोकसभा चुनाव में लगभग 105 या 19 प्रतिशत विजयी उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा 5 से 12वीं के बीच घोषित की है, जबकि 420 या 77 प्रतिशत नवनिर्वाचित सदस्यों ने स्नातक या उससे ऊपर की डिग्री होने की घोषणा की है। 17 नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्य डिप्लोमा धारक हैं और एक ही सदस्य केवल साक्षर हैं। दो विजयी प्रत्याशियों की शिक्षा पांचवीं कक्षा तक रही, वहीं चार ने आठवीं तक पढ़ाई की है।
46 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले
लोकसभा के नवनिर्वाचित 543 सदस्यों में से 251 (46 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह निचले सदन में आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले सदस्यों की पिछले कई दशकों की सबसे अधिक संख्या है। साल 2019 में कुल 233 नवनिर्वाचित सांसदों (43 प्रतिशत) ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की थी, 2014 में 185 (34 प्रतिशत), 2009 में 162 (30 प्रतिशत) तथा 2004 में 125 (23 प्रतिशत) ने आपराधिक मामलों की घोषणा की थी। विश्लेषण के मुताबिक 2009 के बाद से आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा करने वाले सांसदों की संख्या में 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। नवनिर्वाचित हुए 251 सदस्यों में से 170 (31 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं जिनमें दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले हैं। गंभीर अपराध के मामलों वाले सदस्यों की संख्या 2009 से 124 प्रतिशत बढ़ गई है। इस बार चार उम्मीदवारों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अपने ऊपर हत्या से संबंधित मामले दर्ज होने की जानकारी दी है और 27 ने आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास से संबंधित मामले दर्ज होने की घोषणा की है।