Peoples Reporter
8 Oct 2025
Mithilesh Yadav
8 Oct 2025
नई दिल्ली। आज साल 1975 में लगी इमरजेंसी की 50वीं बरसी है। इस दिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में याद किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नई किताब ‘The Emergency Diaries- Years That Forged a Leader’ का जिक्र किया, जो आपातकाल के दौरान उनके व्यक्तिगत अनुभवों और संघर्षों का दस्तावेज है।
किताब को ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने प्रकाशित किया है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस समय की यात्रा को दर्शाती है, जब वे एक युवा आरएसएस प्रचारक के रूप में आपातकाल के विरोध में सक्रिय थे। इस किताब का विमोचन आज गृह मंत्री अमित शाह करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पुस्तक के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “द इमरजेंसी डायरीज आपातकाल के वर्षों के दौरान मेरी यात्रा का वृत्तांत है। इसने मेरी कई यादें ताजा कर दीं। यह पुस्तक उन अनुभवों को साझा करती है, जिन्होंने मुझे एक कार्यकर्ता से एक जननेता तक की यात्रा में ढाला।”
उन्होंने लोगों से यह भी अपील की कि जिन परिवारों ने आपातकाल के दौरान कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि नई पीढ़ी को उस दौर की गंभीरता और लोकतंत्र के महत्व को समझाया जा सके।
इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने लिखी है। देवेगौड़ा भी आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक प्रमुख नेता रहे हैं और उन्होंने इस पुस्तक में उस समय के संघर्ष, राजनीतिक हालात और लोकतंत्र की लड़ाई पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की है।
‘द इमरजेंसी डायरीज’ में न सिर्फ मोदी के अनुभव हैं, बल्कि उस समय उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों, आरएसएस के स्वयंसेवकों और विभिन्न संगठनों की भूमिका को भी अभिलेखीय सामग्री के साथ शामिल किया गया है। यह किताब राजनीतिक इतिहास, सामाजिक संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता का समग्र चित्र प्रस्तुत करती है।
1975 से 1977 तक इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश में आपातकाल लागू किया था, जिसमें नागरिक स्वतंत्रताएं रद्द कर दी गईं, विपक्षी नेताओं को जेलों में डाला गया, प्रेस की आज़ादी पर रोक लगी और पूरे देश में एक भय का माहौल बना।
पीएम मोदी ने इसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय अध्याय करार दिया है।
मोदी ने कहा, “देश में जब आपातकाल थोपी गई थी, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। यह आंदोलन मेरे लिए एक सीखने का अनुभव था। इसने लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता को और भी स्पष्ट किया।”
उन्होंने आगे कहा कि यह किताब युवाओं में लोकतांत्रिक चेतना जगाने और भारत के संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने का एक प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “हम आपातकाल के खिलाफ डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं, चाहे वे किसी भी विचारधारा या क्षेत्र से हों। उनके सामूहिक संघर्ष ने यह सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और चुनाव करवाने पड़े, जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।”