Peoples Reporter
5 Nov 2025
नई दिल्ली। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के महज चार दिन बाद 16 जून को एअर इंडिया के 112 पायलटों ने खुद को बीमार बताकर ‘सिक लीव’ ले ली थी।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने इस जानकारी की पुष्टि संसद में की है। उन्होंने बताया कि सिक लीव लेने वालों में 51 कमांडर्स (P1) और 61 फर्स्ट ऑफिसर (P2) शामिल हैं।
बीजेपी सांसद जय प्रकाश के सवाल पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि हादसे के बाद सभी फ्लीट के पायलटों की ओर से सिक लीव की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई। यह इस बात का संकेत है कि विमानन कर्मियों पर हादसे का गहरा मानसिक असर पड़ा है।
हादसे के बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने सभी एयरलाइनों को एक मेडिकल सर्कुलर जारी किया। इसमें कहा गया कि एयरलाइंस और एयर ट्रैफिक कंट्रोल एजेंसियां अपने कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य आकलन करें। फ्लाइट क्रू और ATCOs को तनाव और आघात से उबरने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम मुहैया कराया जाए। सभी ऑपरेटर्स, फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (FTO) और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) अपने कर्मचारियों के लिए मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम विकसित करें।
12 जून को एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने जैसे ही अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी, टेक-ऑफ के महज एक सेकंड के भीतर ही इंजन के फ्यूल स्विच कट-ऑफ मोड में चले गए, जिससे फ्यूल सप्लाई बंद हो गई। नतीजा यह हुआ कि विमान ने रफ्तार खो दी और कुछ ही पलों में एक मेडिकल हॉस्टल की इमारत से जा टकराया।
विमान में सवार 241 में से 240 लोगों की मौत हो गई, वहीं हॉस्टल में मौजूद कई लोगों की भी जान चली गई। हादसे में कुल 260 मौतें दर्ज की गईं। अधिकतर शव बुरी तरह जल चुके थे और उनकी पहचान डीएनए जांच के जरिए की गई।
इस भयावह हादसे के बाद एयर इंडिया की तकनीकी सुरक्षा प्रक्रियाओं, पायलट ट्रेनिंग, और मेंटेनेंस प्रोटोकॉल पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
वहीं, पायलटों की सामूहिक सिक लीव ने यह भी साफ किया है कि मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा जैसे मुद्दे अब भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए प्राथमिकता बन चुके हैं।