Aniruddh Singh
21 Sep 2025
प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल। कहते हैं खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह हालांकि, एक पुरानी और घिसीपिटी कहावत है, लेकिन इसका अर्थ बहुत गहरा है। खाली दिमाग से आशय ऐसे दिमाग से है, जो सामान्य स्थिति में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहा हो। इस स्थिति के लिए हमारी आज की जीवनशैली भी बहुत दूर तक जिम्मेदार है। लोग आजकल हर समस्या का हल इंटरनेट पर खोजने का प्रयास करते हैं। इससे उनकी ब्रेन एक्टिविटी कम हो रही है। यही वजह है इन दिनों अल्जाइमर के मामले बड़ी संख्या में देखने को मिल रहे हैं। भोपाल जैसे शहरों में भी ऐसे लोगों की संख्या में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
जेपी और हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में हर महीने तीन से चार मामले ऐसे आते हैं, जिसमें युवा भूलने की बीमारी से पीड़ित होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दिमाग को स्वस्थ रखने ब्रेन गेम जरूरी है। तर्क शक्ति आधारित गेम्स और वर्ग पहेली सोचने की सामर्थ्य बढ़ाते हैं। इससे उनकी विचार करने की ताकत और याददाश्त बढ़ती है। ऐसे खेल 15-30 मिनट खेलने से मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और अल्जाइमर जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। अल्जाइमर से जूझ रहे व्यक्ति को अक्सर चीजों के नाम भूलने लगते हैं। भोजन करने के बाद भी याद नहीं रहता कि खाना खा लिया है। रोग की चरम अपस्था में मरीज अपने बेहद निकट लोगों तक को पहचानना बंद कर देता है।
-इस रोग से बचना चाहते हों मोबाइल से दूरी बनाएं। मेंटल स्ट्रेस घटाने वाली एक्टीविटी बढ़ाएं।
-नई भाषा सीखें, ऐसे रास्तों पर जाएं जो याद ना हों, बागवानी, संगीत से भी खतरा कम होता है।
-ओमेगा थ्री फैटी ऐसिड का सेवन करें। अखरोट और मछली का सेवन भी होता है फायदेमंद।
वरिष्ठ न्यूरो फिजिशियन डॉॅ. नीरेन्द्र राय के अनुसार युवाओं में अल्जाइमर का खतरा बढ़ रहा है, क्योंकि जीवनशैली में बदलाव के कारण तनाव बढ़ रहा है। साथ ही धूम्रपान, शराब, अनहेल्दी डाइट और एक्सरसाइज की कमी जैसी लाइफस्टाइल की आदतें ब्रेन की सेहत के लिए हानिकारक हैं।
बुढ़ापे में अल्जाइमर का खतरा कम करना है, तो इसकी तैयारी जवानी में ही शुरू कर दें। ब्रेन को एक्टिन रखने वाले काम करें। कई शोध बताते हैं कि जो लोग एक से ज्यादा भाषा सीखते हैं, उन्हें अल्जाइमर का खतरा कम होती है। साथ ही बागवानी, पजल्स, सुडोकू जैसे गेम से भी ब्रेन एक्टिव रहता है।
डॉ. राहुल शर्मा, क्लीनिकल साइकोलीजिस्ट