Mithilesh Yadav
29 Oct 2025
Shivani Gupta
29 Oct 2025
Hemant Nagle
29 Oct 2025
संजय कुमार तिवारी
जबलपुर। स्वास्थ्य और शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और पहले इन्हें सेवा माना जाता था, लेकिन अब दोनों का व्यवसायीकरण हो गया है। व्यवसायीकरण होने के साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों ही आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। ये अब न सस्ती हैं और न सुलभ...यह बात आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 10 अगस्त को इंदौर में माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र के शुभारंभ के दौरान कही थी। मोहन भागवत का बयान महाकोशल- विंध्य अंचल के सैकड़ों गांवों की हकीकत को उजागर करता है, जहां आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान नहीं है। यहां बरसात के मौसम में हालात और बिगड़ जाते हैं। कीचड़, दलदल और नदी-नाले उफान पर होने से एंबुलेंस गांवों तक नहीं पहुंच पाती। ऐसे में ग्रामीण बीमार, घायल या गर्भवती महिलाओं को चारपाई, बैलगाड़ी, ट्रैक्टर-ट्रॉली या नाव के सहारे अस्पताल ले जाने को मजबूर हैं। इस अस्थायी व्यवस्था ने कई लोगों की जान ले ली। वर्षाकाल में अब तक 50 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंची और ऐसी स्थिति में ग्रामीणों को चारपाई, बांस-बल्ली के सहारे मरीज को अस्पताल तक पहुंचाना पड़ा।
इस दौरान चार मामले ऐसे भी आए हैं जिसमें मरीजों की मौत हो गई। जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर नुनसर गांव में 1 अगस्त को एक 60 वर्षीय मरीज सुखलाल को हार्ट अटैक आया। एम्बुलेंस गांव से 3 किमी दूर कीचड़ में फंस गई। चारपाई पर लाते वक्त गिरने से मरीज की हालत और बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। इसी तरह डिंडौरी जिले के दुनिया बघाड़ गांव में 6 अगस्त को महिला श्रीवती बाई महिला को सांप ने काट लिया था। गांव तक 7 किमी सड़क नहीं थी इसलिए एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंची। समय पर इलाज नहीं मिलने से महिला की मौत हो गई। बता दें कि इस गांव को सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने गोद लिया है। इसी तरह, 3 अगस्त को डिंडौरी के हर्रई ब्लॉक के ग्राम बिहिरा टोला में एक बुजुर्ग महिला सुखबाई (65) की तबीयत अचानक बिगड़ गई। गांव से मुख्य सड़क तक 7 किमी की कीचड़ और दलदल भरी पगडंडी है। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंची। चारपाई से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
सतना जिले के ग्राम पंचायत पुरवा अंतर्गत आने वाले उसरहाई टोला गांव के 15 वर्षीय आशिकी कोल 31 जुलाई को कुएं में गिर गया था। गांव में पक्की सड़क न होने से एम्बुलेंस कर्मियों ने गांव पहुंचने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों ने चारपाई पर रखकर कंधों पर उठाया और मुख्य सड़क तक पहुंचाया। समय पर नहीं पहुच पाने की वजह से उसकी मौत हो गई। यह गांव नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी के विधानसभा क्षेत्र रैगांव में आता है। लेकिन यहां आज भी न बिजली है, न पानी है और न कोई पक्की सड़क। बरसात में यह गांव टापू बन जाता है। डिंडौरी जिले के समनापुर ब्लॉक के ग्राम बिछिया में 5 अगस्त की रात गर्भवती महिला ममता बाई (22) को प्रसव पीड़ा हुई। बारिश और कीचड़ के कारण एम्बुलेंस गांव से 6 किमी दूर ही फंस गई। परिजनों ने महिला को चारपाई पर लिटाकर, पगडंडियों से होते हुए सड़क तक ले गए। इस दौरान रास्ते में ही प्रसव हो गया।
उमरिया जिले के देवरा गांव में 23 जुलाई को एक गर्भवती भगवती राठौर को अस्पताल ले जाने के लिए परिजनों ने दो किलोमीटर तक चारपाई पर पैदल चलकर नदी पार की, फिर नाव से नदी पार की और उसके बाद प्राइवेट वाहन से अस्पताल पहुंचाया। इसी तरह सिवनी के पेंढरवानी गांव में 5 अगस्त को गर्भवती महिला रीना बाई (24) को प्रसव पीड़ा हुई। बारिश से रास्ता दलदल में बदल गया। एम्बुलेंस गांव के बाहर ही फंस गई। ग्रामीणों ने चारपाई पर 3 किमी तक ले जाकर महिला को सड़क तक पहुंचाया। प्रसव रास्ते में हो गया। नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में 2 अगस्त को एक वृद्ध किसान नंदलाल को लकवा हो गया, लेकिन सड़क नहीं थी। ग्रामीणों ने उन्हें नाव से नदी पार कर सड़क तक पहुंचाया, जहां से एम्बुलेंस मिली। मंडला के ग्राम सोनपुर में गर्भवती महिला काली बाई (21) को 1 अगस्त को रात में प्रसव पीड़ा हुई। बिजली नहीं, सड़क नहीं। 6 किमी चारपाई ले जाई गई। आधे रास्ते में ही प्रसव हो गया।