फ्लोरिडा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच हुई बैठक ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय उम्मीदों को एक बार फिर जगा दिया है। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि युद्ध समाप्त करने की दिशा में ठोस प्रगति हुई है और शांति अब पहले से ज्यादा नजदीक दिखाई दे रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ जटिल मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर अभी सहमति बनना बाकी है। जेलेंस्की के मुताबिक, युद्ध खत्म करने के लिए तैयार की गई 20 सूत्री शांति योजना पर लगभग 90 प्रतिशत सहमति बन चुकी है। इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सुरक्षा गारंटी है, जिसे स्थायी शांति की नींव माना जा रहा है।
सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई
बातचीत के दौरान शांति समझौते से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और आगे किस क्रम में कदम उठाए जाएंगे, इस पर भी स्पष्ट सहमति बनी है। जेलेंस्की ने इसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि अमेरिका और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा गारंटी पर पूरी तरह सहमति हो चुकी है, जिससे भविष्य में यूक्रेन की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी रुख साफ हो गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने भी वार्ता को सकारात्मक बताया और कहा कि दोनों पक्ष समझौते के बेहद करीब पहुंच गए हैं। हालांकि, उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एक-दो मुद्दे अब भी बेहद संवेदनशील हैं। इनमें सबसे बड़ा और कठिन सवाल जमीन या क्षेत्र का है, खासकर पूर्वी यूक्रेन के उन इलाकों को लेकर जिन पर रूस का नियंत्रण है। ट्रंप के अनुसार, यही वह बिंदु है, जहां अंतिम सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
रूस भी चाहता है कि यूक्रेन सफल हो
इसी बीच ट्रंप का एक बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा कि रूस भी चाहता है कि यूक्रेन सफल हो। उनके मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को लेकर अपेक्षाकृत उदार रुख दिखाया है, जिसमें सस्ती ऊर्जा और संसाधन उपलब्ध कराने जैसी बातें शामिल हैं। ट्रंप ने यह भी बताया कि जेलेंस्की से मिलने से पहले उनकी पुतिन से फोन पर बातचीत हुई थी, जिसे उन्होंने सकारात्मक और उपयोगी बताया। हालांकि, ट्रंप के इस बयान और जमीनी हालात के बीच अंतर साफ नजर आता है, क्योंकि युद्ध और हमले अब भी जारी हैं। फिर भी, 90 प्रतिशत सहमति यह संकेत देती है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में अब एक मजबूत आधार तैयार हो चुका है। अंतिम समझौता कब होगा, यह क्षेत्रीय विवाद सुलझने पर ही तय होगा, लेकिन शांति की राह अब पहले से कहीं ज्यादा स्पष्ट दिखाई दे रही है।