Aakash Waghmare
19 Dec 2025
सतना। मध्य प्रदेश के सतना जिले में थैलेसीमिया से पीड़ित छह मासूम बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने की पुष्टि के बाद राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर और दो लैब टेक्नीशियनों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई आयुष्मान भारत के सीईओ डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय जांच समिति की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
यह मामला सतना के सरदार वल्लभभाई पटेल जिला चिकित्सालय से जुड़ा है, जहां थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों को नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया। घटना सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य स्तर पर जांच समिति बनाई गई थी।
प्राथमिक जांच में लापरवाही सामने आने के बाद ब्लड बैंक प्रभारी एवं पैथोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र पटेल, लैब टेक्नीशियन रामभाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही जिला अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर उनके खिलाफ भी सख्त विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
[featured type="Featured"]
इस मामले से जुड़े ब्लड की अवैध दलाली के एंगल पर पुलिस ने भी कार्रवाई की है। एक दिन पहले पुलिस ने रजनीश साहू, मोहम्मद सैफ और अनिल गुप्ता नाम के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर ब्लड की अवैध सप्लाई से जुड़े थे।
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि, जैसे ही मामला सामने आया, राज्य स्तरीय जांच समिति गठित की गई। शुरुआती जांच में दोषी पाए जाने पर तीन लोगों को सस्पेंड किया गया है और आगे भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस मामले पर कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने कहा कि, पीड़ित बच्चों को रक्त देने वाले डोनर्स की संख्या काफी अधिक है, इसलिए जांच प्रक्रिया में समय लगना स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि, प्रकरण की जांच केंद्र और राज्य स्तर की अलग-अलग टीमें कर रही हैं। फिलहाल किसी भी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।
यह भी पढ़ें: MP Weather Update : प्रदेश में कड़ाके की ठंड और कोहरा, ट्रेनें और फ्लाइट्स लेट; कई जिलों में पारा 5 डिग्री से नीचे
मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस विधायक जयवर्द्धन सिंह और डॉ. विक्रांत भूरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि, यह मामला कई महीनों से दबाया गया। उनका आरोप है कि, प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों में ब्लड स्क्रीनिंग के लिए अब भी रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल हो रहा है, जबकि ऑटोमेटेड टेस्ट अनिवार्य होने चाहिए।
यह भी पढ़ें: लाड़ली बहनों के लिए खुशखबरी! अब 5000 महीना देगी सरकार, CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान