Naresh Bhagoria
25 Nov 2025
शाहिद खान, भोपाल । राजधानी की लाइफ लाइन बड़ी झील को बचाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन निगम ही उसका गला घोटने पर आमादा है। झील के कैचमेंट सहित फुल टैंक लेवल (एफटीएल) पर बेधड़क निर्माण हो रहा है। कैचमेंट में बढ़ती अवैध बसाहट को रोकने के बजाए इसी बसाहट के बीच नगर निगम अब अमृत 2.0 योजना के तहत सीवेज लाइन बिछा रहा है। जबकि इससे पहले अमृत 1.0 के तहत निगम सूरज नगर, नीलबढ़ और भैंसाखेड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंप हाउस बना चुका है। सूरज नगर से बिसनखेड़ी, गोरा गांव और बीलखेड़ी सहित नीलबड़ एरिया बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में आता है। यहां लगातार बसाहट बढ़ती जा रही है। यहां बन रहे मकानों की दूरी एफटीएल से जहां महज 60 से 80 मीटर है, वहीं यहां बन रहे फार्म हाउस 30 से 40 मीटर दूरी पर ही बन रहे हैं। मकानों का आंकड़ा 100 से ज्यादा है, जबकि 10 से ज्यादा फार्म हाउस यहां बन चुके हैं। अब इसी बसाहट के बीच नगर निगम सीवेज लाइनें बिछा रहा है।
अफसरों का तर्क ये है कि एनजीटी के आदेश पर सीवेज लाइनें बिछाई जा रही हैं ताकि सीवेज झील में न मिले। जबकि हकीकत ये है कि एनजीटी ने झील के एफटीएल और कैचमेंट में किसी भी तरह से कच्चे पक्के निर्माणों को अवैध करार दिया है। साथ ही इन्हें हटाने का आदेश दिया है।
फरवरी 2024 में एनजीटी के आदेश पर ताज होटल के सामने बसी भदभदा बस्ती में रहने वाले 386 परिवारों को शिफ्ट कर मकानों को ढहा दिया गया। यह बस्ती झील किनारे बसी थी। इसी तरह भैंसाखेड़ी, खानूगांव, वन ट्री हिल्स, हलालपुर बैरागढ़ रोड, सूरज नगर और बिसनखेड़ी में 350 से ज्यादा निर्माणों को चिन्हित किया गया है, जो एफटीएल से सटे हुए हैं। जबकि झील कैचमेंट एरिया में किए गए निर्माणों का आंकड़ा 3,000 से ज्यादा है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग की स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी (एसएलटीसी) से फरवरी 2017 में प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली। इसके बाद निगम झील में सीवेज मिलने से रोकने के लिए अमृत 1.0 योजना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट झील के एफटीएल यानी फुल टैंक लेवल पर ही बना दिए। एसटीपी का काम 2018 में शुरू हुआ था, जिसका फाउंडेशन जुलाई में झील का वॉटर लेवल बढ़ने पर डूब गया था। मार्च 2019 में बड़ी झील के एफटीएल की ड्रोन फोटोग्राफी की रिपोर्ट देखने पर निगम के आला अफसरों को यह गलती पकड़ में आई। एसटीपी साइट कागजों में बदली, लेकिन जमीन पर नहीं।
बड़ी झील के भीतर बन रहे इन दो एसटीपी के साथ ही प्रोफेसर कॉलोनी, सलैया, शाहपुरा और यादगारे शाहजहांनी पार्क में बनने वाले एसटीपी का विरोध होने की वजह से इनकी साइट भी बदली जानी थी। लेकिन इसमें एक पेंच यह था कि एसटीपी की नई साइट के लिए पुरानी साइट तक बिछ चुकी पाइप लाइन को बदलना पड़ता। इससे कॉन्क्टेक्टर का नुकसान होता। लिहाजा कागजों में सूरज नगर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को नीलबड़ और भैंसाखेड़ी एसटीपी को जमुनिया छीर में शिफ्ट किया गया। इसी तरह भैंसाखेड़ी एसटीपी और उसका पंप हाउस एफटीएल में ही बना है।
-बड़ी झील के एफटीएल और कैचमेंट में किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। लेकिन यहां नगर निगम सीवेज लाइनें बिछा रहा है।
-झील के आसपास की बसाहट का सीवेज झील में न मिले इसलिए यहां सीवेज लाइनें बिछाई जा रही हैं।
-झील एफटीएल और कैचमेंट में निर्माण अवैध हैं। इन्हें हटाया जाना है, तो फिर यहां सीवेज लाइन क्यों बिछाई जा रही है।
-जहां सीवेज लाइन बिछाई जा रही है वह अवैध निर्माण है, इसकी जानकारी नहीं है।