Aditi Rawat
17 Nov 2025
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत के साथ ही रायपुर जिले में प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। रविवार को जिले में सबसे बड़ा निर्णय लेते हुए उन 250 राशन दुकानों का आवंटन निरस्त कर दिया गया, जिन्हें संचालित करने वाली सहकारी समितियां धान खरीदी में लगातार बाधा डाल रही थीं। शिकायत मिली थी कि ये समितियां किसानों को मंडियों में धान बेचने से रोक रही थीं और अनावश्यक अड़चनें पैदा कर रही थीं।
कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह को कई दिनों से किसानों द्वारा यह शिकायतें मिल रही थीं कि समितियां धान खरीदी की प्रक्रिया बाधित कर रही हैं। इसके बाद कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिया कि अब इन दुकानों का संचालन ग्राम पंचायतें करेंगी। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है और एसडीएम स्तर से आदेश जारी होना भी शुरू हो गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सहकारी समितियों के हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लागू किया, ताकि धान खरीदी में किसी तरह की बाधा न आए। इसके बावजूद कई कर्मचारी वापस ड्यूटी पर नहीं लौटे। नतीजतन रायपुर जिले के विभिन्न थानों पुरानी बस्ती, खरोरा, धरसींवा और तिल्दा-नेवरा में 12 कर्मचारियों पर मामला दर्ज किया गया है।
इन कर्मचारियों पर छत्तीसगढ़ अति आवश्यक सेवा संधारण एवं विच्छिन्नता निवारण अधिनियम 1979 के तहत FIR दर्ज की गई है। पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में राजू दास, ओमप्रकाश माहले, विजय गुप्ता, सुवेश, आनंद सहित अन्य कर्मचारियों पर केस दर्ज हुआ है। इसी तरह धरसींवा, तिल्दा और खरोरा क्षेत्र में भी कंप्यूटर ऑपरेटरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
कलेक्टर के इस आदेश को हड़ताली सहकारी समिति प्रबंधकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रबंधकों का आरोप है कि हड़ताल को कमजोर करने के उद्देश्य से यह कार्रवाई की गई है, जबकि प्रशासन का कहना है कि किसानों को परेशान होने से बचाना सबसे प्राथमिकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षों से सहकारी समितियां ही राशन दुकानों का संचालन करती आई हैं। लेकिन इस बार धान खरीदी में जानबूझकर व्यवधान डालने के आरोपों के चलते इन समितियों को जिम्मेदारी से हटाया गया है। फिलहाल हड़ताल खत्म करने को लेकर समितियों की ओर से कोई बयान जारी नहीं हुआ है।