पुष्पेन्द्र सिंह
भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा एक साल पहले प्रारंभ की गई ग्रीन क्रेडिट योजना (जीसीपी) मध्यप्रदेश में फ्लाप होती दिख रही है। मप्र देश का पहला ऐसा बड़ा राज्य है जहां वनों को सुधारने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे ज्यादा 9 हजार 700 हेक्टेयर वन क्षेत्र आरक्षित किया गया है लेकिन 55 जिलों में से एक भी वन मंडल में कंपनियां वन क्षेत्र लेने के लिए तैयार नहीं हैं। इस योजना को लेकर वन विभाग के अधिकारी भी हाथ पे हाथ धरे बैठे हैं।
इसलिए ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम प्रारंभ हुआ : केंद्र सरकार की मंशा है कि उद्योगों, कंपनियों और अन्य संस्थाओं को प्रेरित किया जाए कि वे बिगड़े वनों को सुधारने के लिए आगे आएं। ग्रीन क्रेडिट कार्ड मिलने से उद्योग या कंपनियां पर्यावरण सुधार में अपने नंबर बढ़ा सकते हैं। लेकिन इस ओर प्रदेश की कंपनियों में रुचि नहीं है।
ग्रीन क्रेडिट से पुण्य कमाने का मौका : अफसरों का कहना है कि योजना में पब्लिक सेक्टर की कंपनियां पौधरोपण करके या सिंचाई के साधन बढ़ाकर उस क्षेत्र के लोगों की सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं। वृक्षारोपण, जन प्रबंधन, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, भूमि को उपजाऊ करना, अपशिष्ट प्रबंधन, वायु प्रदूषण में कमी लाना आदि को प्राथमिकता है।
रीवा वन मंडल ने बनाया था पहला प्लान : जानकारी के अनुसार, एक साल पहले रीवा वन मंडल ने एक प्लान तैयार करके देहरादून स्थित मुख्यालय भेजा था। हरी झंडी मिलने के बाद जिले के कुछ उद्योगों को आगे भी लाया गया लेकिन किसी ने बदले में कोई राशि नहीं दी। यही हाल देश के दूसरे वन मंडलों में भी बना हुआ है।
वनरोपण के लिए संस्थाएं ब्लॉकों का चयन ऐसे करेंगी : पंजीकृत संस्था वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त ग्रिड का चयन करेगी। प्रशासक संस्था को वृक्षारोपण के लिए भुगतान की जाने वाली धनराशि के बारे में जानकारी देगा। तय शुल्क राशि का भुगतान हो जाने के बाद, संस्था द्वारा चयनित ब्लॉक पर वन विभाग या वन विकास निगम) द्वारा वृक्षारोपण कार्य शुरू किया जाएगा।
राज्यवार तय किया गया क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)
राज्य क्षेत्रफल
मध्यप्रदेश 9,749.43
झारखंड 2,007.43
गुजरात 1,767.5
तेलंगाना 1,720.00
महाराष्ट्र 1,295.9
देशभर में आगे आने वाली टॉप-5 कंपनियां
इंडियन आॅइल कॉर्पोरेशन, पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन, एनटीपीसी, सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड और साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड (मध्यप्रदेश को छोड़कर)
अभी तक कोई नहीं आया
ग्रीन क्रेडिट कार्ड के लिए अभी तक कोई नहीं आया। यह पब्लिक सेक्टर के लिए कार्यक्रम है। प्रदेश में 500 हेक्टेयर के करीब वन क्षेत्र है। असल में कार्यक्रम को कंट्रोल करने के लिए देहरादून मुख्यालय से किसी अफसर को नियुक्त नहीं किया गया है।
अशोक बर्णवाल, एसीएस, वन