Naresh Bhagoria
18 Nov 2025
ओंकारेश्वर। तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को लेकर उठे व्यापक जनविरोध, साधु-संतों की नाराजगी और स्थानीय दुकानदारों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने परियोजना को निरस्त कर दिया है। दो दिनों से बंद ओंकारेश्वर नगर में विरोध इतना बढ़ गया था कि बाजार, टैक्सी, ऑटो से लेकर छोटे व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गए थे।
ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट के सर्वे में बड़े पैमाने पर घरों, दुकानों और कई आश्रमों के विस्थापन की आशंका व्यक्त की गई थी। इससे लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा था। संत समाज ने इस प्रोजेक्ट को धार्मिक स्वरूप और परंपरा के विपरीत बताते हुए कड़ा विरोध जताया।
अपर कलेक्टर ने बताया कि 'जनभावनाओं और संत समाज की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट को फिलहाल निरस्त किया गया है। भविष्य में किसी भी निर्माण से पहले संतों और स्थानीय लोगों से संवाद किया जाएगा।'
संतों ने कहा कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट से ममलेश्वर क्षेत्र की आध्यात्मिक गरिमा पर असर पड़ेगा।
वहीं स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि विस्थापन की स्थिति में रोजी-रोटी पर संकट आएगा।
लगातार विरोध को देखते हुए प्रशासन ने बातचीत कर सभी पक्षों की बात सुनी और निर्णय लिया।
120 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को सिंहस्थ-2028 से पहले पूरा करना था। इसके विरोध में ओंकारेश्वर दो दिन से पूरी तरह बंद रहा-
श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्हें नर्मदा का जल पीकर प्यास बुझानी पड़ी और 7 किमी दूर जाकर महंगे दामों पर रहना पड़ा। हालांकि, प्रशासन का दावा है कि व्यवस्था की जा रही थी, लेकिन श्रद्धालुओं के अनुसार उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
ओंकारेश्वर के लगभग आधे इलाके में विस्थापन की आशंका थी। इसी कारण स्थानीय लोगों ने तीन दिन का बंद बुलाया। प्रोजेक्ट निरस्त होने की घोषणा के बाद उम्मीद है कि बुधवार से दुकानदार अपनी दुकानें खोल देंगे और स्थिति सामान्य होने लगेगी।