Shivani Gupta
8 Oct 2025
अशोक गौतम
भोपाल। ओडिशा राज्य में माइनिंग से 45 हजार करोड़ रुपए से अधिक सालाना कमाई का तौर-तरीका सीखने और अध्ययन करने गई मप्र सरकार की टीम को निराशा हाथ लगी है। अधिकारियों ने अध्ययन में पाया कि ओडिशा में पाए जाने वाले खनिजों की गुणवत्ता मध्य प्रदेश से कई गुना बेहतर है।अकेले केदुझार जिला माइनिंग से ओडिशा सरकार को प्रति वर्ष 25 हजार करोड़ रुपए देता है। राज्य में मुख्य तौर पर आयरनओर, मैंगनीज, कोयला के बड़े भंडार हैं। इस लिहाज से वहां मध्य प्रदेश से चार गुना माइनिंग से रेवन्यू हासिल करना बहुत स्वाभाविक है। टेक्नालॉजी का मध्य प्रदेश ओडिशा के बराबर ही उपयोग कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव दिल्ली में मुख्यमंत्रियों की एक बैठक में शामिल हुए थे। प्रेजेंटेशन के दौरान देखा कि ओडिशा राज्य मध्य प्रदेश से छोटा है, खनिज संपदा भी वहां कम है। इसके बाद भी उसकी कमाई बहुत ज्यादा है।
खनिज संपदा कम होने के बाद भी मध्य प्रदेश में माइनिंग से 10 से 15 हजार करोड़ रुपए ही सालाना मिलते हैं, लेकिन ओडिशा में माइनिंग से 45 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की आय होती है। हमारे यहां रेत के उत्खनन, परिवहन और उसकी सुरक्षा में पूरा माइनिंग का अमला सालभर लगा रहता है, इसके बाद भी रेवेन्यू नहीं बढ़ रहा है। इसको लेकर उन्होंने खनिज विभाग के अफसरों को निर्देश दिया कि अधिकारी टीम बना कर ओडिशा जाएं और वहां खनिजों के संबंध में सिस्टम तैयार करें। मध्य प्रदेश से चार गुना ज्यादा आय कैसे हो रही है, उस सिस्टम को यहां लागू करने के लिए सुझाव दें। प्रमुख सचिव सहित विभाग के एक दर्जन अधिकारियों की टीम ओडिशा एक हफ्ते रहकर अध्ययन किया।
ओडिशा में अध्ययन के लिए गई टीम के अनुसार वहां खनिजों की ग्रेडिंग की जाती है, जबकि मध्य प्रदेश में ग्रेडिंग का सिस्टम नहीं है। इससे ग्रेड के अनुसार खनिजों की नीलामी की जाती है। इससे गुणवत्ता युक्त खनिज की बेहतर कीमत मिलती है। ग्रेडिंग होने से एक ही खनिज की अलग- अलग कीमतें तय होती है। यह काम खनिज विभाग ऑक्शन के दौरान ही तय कर देता है। इस व्यवस्था पर मध्य प्रदेश सरकार भी विचार कर सकती है। हालांकि अभी टीम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है।
-ओडिशा में रेत, मुरुम, गिट्टी, मिट्टी पूरी तरह से फ्री है। खनिज परिवहन करने में रॉयल्टी नहीं देनी पड़ती है।
-वहां घर सहित अन्य निर्माण कार्य के लिए फ्री में रेत मिलती है। इससे सरकारी और निजी निर्माण कई गुना सस्ते होते हैं।
-नदियों से रेत नहीं निकाली जाती है। खनिज अमले का फोकस कोयला, तांबा, कोयला, चूना पत्थर सहित अन्य खनिजों पर होता है।
-अवैध उत्खनन के मामले भी यहां से कम होते हैं, जबकि मप्र में रेत, गिट्टी, पत्थर सहित अन्य खनिजों का उत्खनन-परिवहन आम बात है।
खनिज के मामले में ओडिशा और मप्र का कोई तुलना नहीं की जा सकती है। वहां बहुत ही अच्छी क्वालिटी के खनिज मिलते हैं। कई खदानें तो हजार हेक्टेयर से ज्यादा की हैं। मप्र में इतनी बड़ी खदानें नहीं हैं। टेक्नॉलाजी के मामले में मप्र ओडिशा के बराबर
ही है। उमाकांत उमराव,
प्रमुख सचिव, खनिज संसाधन विभाग