Naresh Bhagoria
4 Dec 2025
पल्लवी वाघेला
भोपाल। मर्द को भी दर्द होता है, कुछ इसी तरह की व्यथा मप्र के पुरुष बयां करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, पुरुषों के लिए देश और मप्र में कार्यरत भाई संस्था के पास बीते 7 माह में प्रदेशभर से 8,796 लोगों ने मदद मांगी है। संस्था के हेल्पलाइन नंबर (8882498498) पर ऐसे 172 कॉल्स भी पहुंचे हैं, जिसमें पुरुष शारीरिक प्रताड़ना से परेशान हैं और आए दिन होने वाले अपमान को सह नहीं पा रहे हैं। बता दें, शारीरिक हिंसा की सबसे ज्यादा 31 शिकायतें भोपाल जिले के पुरुषों ने की हैं। वहीं, इंदौर जिला 24 शिकायतों के साथ दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा हेल्पलाइन पर 3,780 पुरुषों ने सोशल मीडिया पर बदनामी से होने वाले सोशल ट्रामा का दर्द बयां किया है। शिकायत करने वाले पुरुषों में सबसे ज्यादा 35 से 50 आयु वर्ग के हैं। दूसरे नंबर पर 25 से 35 आयु के पुरुष हैं और 50 से अधिक आयु के पुरुषों की संख्या इनके मुकाबले आधी थी।
पुरुषों ने बताया झाड़ू से पिटाई, बर्तन फेंककर मारना, बाल खींचना, नाखून और दांत से जख्म देना जैसी शारीरिक प्रताड़ना पत्नियों द्वारा दी जा रही है। इसके पीछे शक, आर्थिक परेशानी, संयुक्त परिवार में सामंजस्य की कमी जैसे कारण प्रमुख रहे। वहीं शारीरिक प्रताड़ना के अलावा पुरुष मानसिक रूप से भी प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। पुरुषों की व्यथा है कि विवाद में घर की महिलाएं सोशल मीडिया पर उन्हें बदनाम करने में गुरेज नहीं कर रही हैं। सोशल मीडिया पर अपलोड किए जाने वाले कंटेंट में निजी पलों की जानकारी, झूठी इमोशनल पोस्ट और पति को अनफिट साबित करने जैसी बातें शामिल हैं। बता दें, हेल्पलाइन पर सबसे अधिक शिकायतें इंदौर, इसके बाद भोपाल और इसके बाद रीवा, सागर, जबलपुर और ग्वालियर जिलों से पहुंची हैं।
संस्था से मांगी मदद में 810 पुरुषों ने अपने बच्चों या अपने माता-पिता से दूर किए जाने से अवसाद में रहने की बात भी कही है। इन्होंने बताया कि पत्नी, माता-पिता को केस में फंसाने की धमकी देती है, इसलिए मजबूरी में अलग रह रहे हैं। वहीं, बच्चों की कस्टडी के लिए लड़ रहे पिताओं की व्यथा है कि वह अपने बच्चे की एक झलक तक पाने को तरस जाते हैं।
‘सेव इंडियन फैमिली फाउंडेशन‘ और ‘माई नेशन‘ नाम की गैर सरकारी संस्थाओं के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में 55 फीसदी से ज्यादा पति तीन साल की रिलेशनशिप में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा का सामना कर चुके होते हैं। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है पुरुषों ने जब इस तरह की शिकायतें किसी प्लेटफॉर्म पर करनी चाहीं तो लोगों ने विश्वास न कर पुरुषों को हंसी का पात्र बना दिया गया।
बीते कुछ सालों में पुरुषों के लिए कार्यरत संस्थाओं के पास पुरुषों ने मदद मांगी है और उन्हें विधिक सहायता दी गई है। हम लगातार जेंडर समानता पर आधारित कानून और पुरुष आयोग की मांग रख रहे हैं। बीते दिनों जिस तरह पुरुषों पर प्रताड़ना के मामले सामने आ रहे हैं जरूरी है कि इन मांगों को अमल में लाया जाए।
जकी अहमद, अध्यक्ष भाई संस्था, भोपाल