Naresh Bhagoria
17 Dec 2025
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के संबंध में 26 नवम्बर को पारित सशर्त अंतरिम आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया है। बुधवार को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने दो टूक कहा- ‘हमने कटाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है। यदि उस अंतरिम आदेश का पालन नहीं हो रहा, तो कानून में मौजूद विकल्पों के तहत कार्रवाई की जाए। अब यदि आदेश का पालन नहीं हो रहा, तो हम हर पेड़ के सामने जाकर उसे बचाने के लिए खड़े तो नहीं हो सकते।
बेंच ने कहा कि जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी और ट्री ऑफिसर की परमिशन पर ही पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई है, तो उसे बदला नहीं जा सकता। यदि किसी भी पक्षकार को कोई दिक्कत है तो वह NGT के सामने जाकर अपनी बात रखें।’ इस मत के साथ बेंच ने मामले की सुनवाई 14 जनवरी को निर्धारित करके सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने कहा है।
भोजपुर रोड पर मौजूद 448 पेड़ों को काटने के मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर इसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की। इसी मामले में भोपाल में विधायकों के लिए आवास बनाने के लिए 244 पेड़ों और भोपाल में रेलवे के प्रोजेक्ट के लिए 8 हजार पेड़ों को भी काटे जाने का मामला सामने आया। इस पर बेंच ने पहले 20 नवंबर को भोपाल में और फिर 26 नवंबर को पूरे प्रदेश में पेड़ों की कटाई पर सशर्त रोक लगा दी थी। बेंच ने कहा था कि सिर्फ NGT द्वारा गठित कमेटी और ट्री ऑफिसर की अनुमति पर ही पेड़ काटे जा सकेंगे।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि हमने काटे गए पेड़ों को भोपाल के चंदनपुर इलाके में 9.71 हेक्टेयर जमीन पर ट्रांसलोकेट किया है। इस बयान को सिरे से नकारते हुए बेंच ने कहा कि जो आपने किया वह ट्रांसलोकेशन नहीं है। यह तो वही बात हुई कि आपने ऊंगलियों को काट दिया और कह रहे कि हमने हाथ तो ट्रांसलोकेट कर दिया। ऐसे में क्या उस हाथ को पूरा हाथ माना जाएगा। बेंच ने सरकार को कहा है कि वह विस्तृत रिपोर्ट देकर बताएं कि उसके द्वारा कहां, कैसे और कितने पेड़ लगाए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान सिंगरौली में धिरौली कोल ब्लॉक द्वारा 6 लाख पेड़ों को काटे जाने का मुद्दा भी उठा। यह याचिका बैढ़न जनपद पंचायत की अध्यक्ष सविता सिंह ने लगाई है। सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से कहा गया कि जितने भी पेड़ काटे जाने का प्रस्ताव है, उसके लिए कंपनी हर एक पेड़ का मुआवजा देगी। इस पर बेंच ने कहा कि आप मुआवजा देंगे तो वह सरकार के खजाने में जाएगा। परंतु सवाल यह है कि उन पेड़ों के कटने से लोगों से जो ऑक्सीजन छिनेगी, उसका जिम्मेदार कौन होगा? बेंच ने इस जनहित याचिका को मूल याचिका के साथ लिंक करने के निर्देश दिए हैं।