Naresh Bhagoria
21 Dec 2025
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक वकील द्वारा कार में बैठकर दलीलें पेश करने को न्यायालय की गरिमा के खिलाफ मानते हुए ₹10,000 का जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस कृत्य को अनुशासनहीनता करार दिया और भविष्य में ऐसी लापरवाही न दोहराने की सख्त हिदायत दी।
यह मामला भोपाल की एक निजी फर्म द्वारा साल 2020 में इनकम टैक्स के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका से जुड़ा था। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने अपनी पूरी दलील कार में बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दी।
इस पर न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने सख्त नाराजगी जताई और टिप्पणी की कि "यह आचरण न्यायालय की गरिमा और प्रक्रिया के प्रति असम्मान दर्शाता है।" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा केवल उन वकीलों के लिए है जो किसी कारणवश व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकते, न कि कोई कहीं से भी बहस शुरू कर दे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे व्यवहार से न्यायालय की प्रतिष्ठा और अनुशासन प्रभावित होता है, जिसे किसी भी स्थिति में सहन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ₹10,000 की राशि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के खाते में जमा करवाई जाए और यह जुर्माना अवापसी योग्य (non-refundable) रहेगा।
अदालत ने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने टॉयलेट में बैठकर ऑनलाइन सुनवाई में भाग लिया था, जिस पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि न्यायिक कार्यवाही की मर्यादा और अनुशासन से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
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