
बेंगलुरु। कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के खिलाफ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने राज्यपाल के उस आदेश को चुनौती है, जिसमें कथित मुडा घोटाले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है। सिद्धारमैया पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की जमीन के मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है। पूरा मामला 3.16 एकड़ जमीन से जुड़ा हुआ है। 17 अगस्त को गवर्नर ने उनके खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा- राज्यपाल ने बिना सोचे-समझे और संवैधानिक नियमों के खिलाफ आदेश दिया है। संविधान के आर्टिकल 163 के तहत मंत्रिमंडल की सलाह जरूरी है। उनका आदेश गलत और बाहरी विचारों से प्रेरित है।
पूरा मंत्रिमंडल मेरे साथ हैं : सिद्धारमैया
MUDA घोटाले पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 17 अगस्त को कहा कि, “पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी हाईकमान, सभी विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ हैं। देखें VIDEO
राज्यपाल ने जारी किया था नोटिस
राजभवन के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, ‘‘राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा की ओर से दायर तीन याचिकाओं पर आधारित है।” अधिवक्ता-कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को ‘‘कारण बताओ नोटिस” जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को उन पर लगाए आरोपों पर जवाब देने और यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए।
कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल को मुख्यमंत्री को जारी ‘‘कारण बताओ नोटिस” वापस लेने की ‘‘ सलाह” दी थी। उसने राज्यपाल पर ‘‘संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग” का आरोप लगाया था।
सीएम पर जमीन के अधिग्रहण का केस
बता दें कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर MUDA द्वारा अधिग्रहित जमीन के एक टुकड़े को अपनी पत्नी के नाम से बदलने का आरोप है। MUDA ने विकास के लिए केसर गांव में उनकी 3 एकड़ की जमीन का अधिग्रहण किया था। बाद में मैसूर के एक रिच शहर विजयनगर में उनकी जमीनों को फिर से आवंटित किया गया। आलोचकों का दावा है कि आवंटित जमीनों का बाजार मूल्य उनकी जमीन की कीमत से काफी ज्यादा थी। MUDA घोटाले में सीएम सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है।
क्या है MUDA केस?
मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी। इसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था, लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था। यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी।
पार्वती के भाई ने गिफ्ट में दी थी जमीन
सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के पास मैसुरु जिले के केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। ये जमीन उन्हें 2010 में उनके भाई मल्लिकार्जुन ने तोहफे में दी थी। MUDA ने इस जमीन को अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर स्टेज 3 लेआउट विकास किया था।
हालांकि, 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने इस जमीन के बदले पार्वती को साउथ मैसुरु के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था।
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