Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन उनकी टाइमिंग और हालिया गतिविधियों को देखते हुए यह फैसला केवल स्वास्थ्य से जुड़ा नहीं दिख रहा। मानसून सत्र के पहले दिन वह पूरे दिन सक्रिय रहे, विपक्षी नेताओं से मिले, सदन का संचालन किया और महाभियोग प्रस्ताव पर औपचारिक घोषणा भी की। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या उनके इस्तीफे के पीछे कुछ और कारण हैं?
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन उन्होंने उसी दिन राज्यसभा में कार्यवाही चलाई, विपक्षी नेताओं से शाम 5:30 बजे मुलाकात की, रात 7:30 बजे फोन पर बातचीत भी की और उनका 23 जुलाई को जयपुर दौरा भी प्रस्तावित था। इन गतिविधियों में कहीं भी उनके अस्वस्थ होने का कोई संकेत नहीं था।
इसने यह संकेत दिया कि इस्तीफा पूर्वनियोजित हो सकता है, और इसके पीछे राजनीतिक रणनीति हो सकती है।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ सरकार से कुछ मुद्दों पर मतभेद के कारण इस्तीफे की ओर बढ़े। किसानों के मुद्दे, महाभियोग प्रस्ताव की स्वीकृति, या विपक्ष के साथ संतुलन साधने की उनकी कोशिशें, इनमें से कोई भी बिंदु कारण हो सकता है।
धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद संभाला था, और उनका कार्यकाल 2027 तक था। वे 74 वर्ष के हैं। उनका इस्तीफा ऐसे समय आया जब विपक्ष के साथ उनके संबंध तनावपूर्ण थे। उनके इस्तीफे के बाद अब उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति होंगे।
भारत के संविधान के अनुसार, 60 दिनों के भीतर उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराना अनिवार्य है। भाजपा अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ उपराष्ट्रपति उम्मीदवार की तलाश में है। पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को आगे कर सकती है जो संवैधानिक अनुभव, राजनीतिक संतुलन और भविष्य की दिशा तय करने में सक्षम हो।
कांग्रेस के नेता जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी और अखिलेश प्रसाद सिंह ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात की थी और बताया कि, “धनखड़ बिल्कुल स्वस्थ थे, उन्होंने इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया।” अब विपक्ष इस पूरे घटनाक्रम को सियासी चश्मे से देख रहा है। कांग्रेस ने स्पष्ट कहा कि यह सिर्फ सेहत का मामला नहीं है, इसके पीछे राजनीतिक वजह हो सकती है।
धनखड़ के इस्तीफे से पहले जिस तरह उन्होंने महाभियोग प्रस्ताव को प्रक्रिया में डाला, उसने उनकी संवैधानिक जिम्मेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाया। लेकिन क्या यह कदम सरकार के खिलाफ गया? क्या यह उनके इस्तीफे की वजह बना?