Shivani Gupta
4 Oct 2025
भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बी. आर. गवई ने शुक्रवार (3 अक्टूबर) को मॉरीशस में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर से नहीं बल्कि कानून के शासन से चलती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया जिसमें कथित अपराधियों के घरों को गिराने की कार्रवाई को कानून और संविधान के खिलाफ बताया गया था।
सीजेआई गवई ने कहा कि किसी अभियुक्त का घर गिराना कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी करना है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने दोहराया कि भारत का लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था केवल कानून के शासन पर आधारित है।
अपने भाषण में जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र किया, जिनमें 1973 का केशवानंद भारती केस भी शामिल था। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका की अपनी सीमाएं हैं और वह न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती।
सीजेआई ने बताया कि सामाजिक क्षेत्र में बने कानूनों ने ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने में मदद की है। हाशिए पर रहे समुदायों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा कानून और न्याय व्यवस्था पर भरोसा किया है।
अपने संबोधन में गवई ने हाल के महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख किया। इनमें मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा को खत्म करने वाला फैसला और निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने वाला फैसला शामिल रहा।
सीजेआई ने महात्मा गांधी और डॉ. बी. आर. आंबेडकर की दूरदर्शिता को भी याद किया। उन्होंने कहा कि भारत में कानून का शासन केवल नियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुशासन और सामाजिक प्रगति का आधार है।