Naresh Bhagoria
15 Nov 2025
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि देश में 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोगों में हो रही अचानक मौतों और कोरोना वैक्सीन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। यह अध्ययन मई 2023 से अगस्त 2023 तक देश के 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 क्षेत्रीय अस्पतालों में किया गया।
अध्ययन में उन लोगों की जांच की गई जो अक्तूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मृत्यु का शिकार हुए। इसमें यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि जिन व्यक्तियों की मृत्यु हुई, उनकी मृत्यु के पीछे कोरोना वैक्सीन नहीं, बल्कि अन्य कारण जिम्मेदार थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अचानक हो रही मौतों के पीछे कई संभावित कारण हैं, जिनमें जेनेटिक म्यूटेशन, अनुचित दिनचर्या, तनावपूर्ण जीवनशैली, पूर्व-निरोधात्मक बीमारियाँ और कोरोना संक्रमण के बाद की जटिलताएं शामिल हैं। एम्स द्वारा चल रहे एक अलग अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि हार्ट अटैक जैसी घटनाओं में वृद्धि जेनेटिक बदलावों के कारण हो रही है।
सरकार ने यह भी कहा है कि वैक्सीन दुर्लभ मामलों में ही किसी व्यक्ति पर गंभीर प्रतिक्रिया करती है, और अब तक जो भी गंभीर घटनाएं हुई हैं, वे सीधे तौर पर वैक्सीन से नहीं जुड़ी हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में राज्य के हासन जिले में युवाओं की अचानक हो रही मौतों को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि कोविड वैक्सीन को जल्दबाजी में मंजूरी दी गई और उसी के बाद युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने यह आशंका जताई कि वैक्सीन भी अचानक हो रही मौतों का एक कारण हो सकती है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने उनके इस बयान को आधारहीन और भ्रामक करार देते हुए कहा कि इससे लोगों में वैक्सीन को लेकर अविश्वास फैल सकता है, जबकि कोरोना वैक्सीन ने महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाई है। सरकार ने स्पष्ट किया कि सभी वैक्सीन आपातकालीन स्थितियों में वैज्ञानिक साक्ष्यों और नियामकीय प्रक्रियाओं के आधार पर मंजूरी दी गई थीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता से अपील की है कि अगर किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या धड़कन तेज़ होने जैसी कोई भी समस्या हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर जांच कराएं। सरकार ने यह चेतावनी भी दी है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहें वैज्ञानिक तथ्यों के विपरीत हैं और इनसे लोगों का टीकाकरण के प्रति भरोसा कमजोर हो सकता है।