Aakash Waghmare
18 Nov 2025
बीजिंग। विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को चीन के तीन दिवसीय दौरे पर बीजिंग पहुंचे, जहां उन्होंने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। इस दौरान भारत-चीन संबंधों में हाल के दिनों में आई नरमी और सहयोग के नए रास्तों को लेकर महत्वपूर्ण बातचीत हुई।
जयशंकर ने बातचीत में कहा कि भारत और चीन के रिश्ते अक्टूबर 2023 में रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से बेहतर होने लगे हैं। दोनों देशों के बीच इस वर्ष राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं, जो एक अहम पड़ाव है।
जयशंकर ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किए जाने की सराहना की और कहा कि इस फैसले को भारत में व्यापक रूप से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। यह धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण कदम है, जिससे लोगों के बीच विश्वास मजबूत होगा।
चीन के उपराष्ट्रपति के साथ बातचीत में जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को “जटिल” बताते हुए कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े और पड़ोसी देशों के बीच खुला संवाद बेहद आवश्यक है। उन्होंने पारस्परिक विचार-विमर्श की जरूरत पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि यह दौरा संबंधों में सकारात्मक बदलाव लाएगा।
जयशंकर मंगलवार को तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में वह चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी मिलेंगे। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।
यह जयशंकर की पिछले पांच वर्षों में चीन की पहली यात्रा है। खास बात यह है कि यह दौरा 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद पहली उच्चस्तरीय भारत-चीन वार्ता को चिन्हित करता है। उस झड़प में दोनों ओर से सैनिकों की जानें गई थीं और संबंधों में भारी तनाव आ गया था।
जयशंकर की इस यात्रा से यह संकेत भी मिल रहा है कि चीन अब भारत के साथ रिश्तों को लेकर नई सोच अपनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में पाकिस्तान, जो चीन का पारंपरिक सहयोगी रहा है, उसके लिए यह झटका हो सकता है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक है, जिसमें भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान समेत कुल 9 सदस्य देश शामिल हैं। इसका मकसद सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना है। यह संगठन आतंकवाद, उग्रवाद, नशा तस्करी जैसे विषयों पर साझा रणनीति बनाता है।
बीजिंग पहुंचने के बाद एस. जयशंकर ने SCO महासचिव नुरलान येरमेकबायेव से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत की प्रतिबद्धताओं और संगठन के साथ आगे की साझेदारी को लेकर चर्चा की।