Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
मुंबई। देश के एक समय के शीर्ष उद्योगपतियों में शुमार रहे अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में उनके समूह की कई कंपनियों के परिसरों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मुंबई में की गई, जिसमें अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA – Reliance Anil Ambani Group) की कंपनियों और उनसे जुड़े अधिकारियों के दफ्तर व ठिकानों पर तलाशी ली गई।
ईडी की यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है। जांच एजेंसी को यह संदेह है कि अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों ने वर्ष 2017 से 2019 के बीच बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज का गलत तरीके से उपयोग किया।
जांच में यह भी सामने आया कि समूह ने यस बैंक से लिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपए के लोन का दुरुपयोग किया। यह लोन धोखाधड़ी और घूसखोरी के एंगल से भी जांच के घेरे में है।
ईडी की यह कार्रवाई एक समन्वित जांच का हिस्सा है, जिसके पीछे CBI, नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB), SEBI, NFRA और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी एजेंसियों की रिपोर्ट और एफआईआर का आधार है। ईडी के अनुसार, यह सार्वजनिक धन की हेराफेरी से जुड़ी एक सुनियोजित साजिश है, जिसमें कई बैंकों, शेयरधारकों और निवेशकों को ठगा गया।
सूत्रों के अनुसार, अनिल अंबानी के निजी आवास पर कोई छापेमारी नहीं हुई है, लेकिन दिल्ली और मुंबई से आई ईडी टीमों ने उनके समूह की कई कंपनियों के दफ्तरों पर तलाशी ली। इन परिसरों में वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है।
यह छापेमारी ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस को “फ्रॉड” घोषित किया था। SBI ने दिसंबर 2023, मार्च 2024 और सितंबर 2024 में कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजे थे। जांच के बाद बैंक ने पाया कि कंपनी ने लोन की शर्तों का पालन नहीं किया और खातों में अनियमितताओं को छुपाया गया।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद में जानकारी दी थी कि एसबीआई की शिकायत के आधार पर अब CBI में मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। RBI के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट दिशा-निर्देशों के मुताबिक, बैंक ने अपने नियमों के अनुसार यह कदम उठाया है।
एक समय देश के सबसे अमीर कारोबारियों में शुमार रहे अनिल अंबानी की कई कंपनियां अब या तो दिवालिया हो चुकी हैं या बिकने की कगार पर हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल जैसी कंपनियों पर पहले से ही बैंकों और एजेंसियों की निगाह है।
अब ईडी की यह छापेमारी इस पूरे मामले में नए खुलासों की उम्मीद जगा रही है। यदि लोन दुरुपयोग, मनी लॉन्ड्रिंग और घूसखोरी के पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो यह मामला अनिल अंबानी ग्रुप के लिए और गंभीर हो सकता है।