Naresh Bhagoria
20 Nov 2025
अशोक गौतम, भोपाल। सरकार के लिए मूंग सिरदर्द बनती जा रही है। किसानों के साधने के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने चुनाव से पहले मूंग खरीदी का निर्णय लिया था। इसे खुले बाजार में बेचने के लिए मार्कफेड कई बार टेंडर जारी कर चुका है, लेकिन खरीदने वाले व्यापारी आगे नहीं आ रहे हैं। अभी तक सिर्फ वर्ष 2022 में खरीदी गई मूंग पूरी तरह से बिक पाई है। इसमें भी सरकार को 208 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। वर्ष 2023, 2024 और 2025 की करीब दस लाख मीट्रिक टन मूंग अभी गोदामों में ही रखी हैं।
बाजार में मूंग के दाम कम होने से इसे लेने के लिए कारोबारी सामने नहीं आ रहे हैं। इसके अलावा बाजार में मूंग की क्वालिटी ज्यादा बेहतर होती है। ताजी मूंग हर साल बाजार में आ जाती है। इसके चलते कारोबारी इसे लेने के लिए ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। बाजार और मार्कफेड के मूंग की दरों में 500 से 1000 रुपए तक का अंतर होता है।
मूंग की खरीदी केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करती हैं। खरीदी से पहले केंद्र सरकार कोटा तय करता है। इससे ज्यादा मूंग की खरीदी करने पर राज्य सरकार उसका भुगतान करती है। भोपाल संभाग, नर्मदापुरम, जबलपुर और उज्जैन संभाग के देवास जिले में सबसे ज्यादा खरीदी की जाती है।
राज्य सहकारी विणन संघ के एमडी आलोक सिंह कहते हैं कि सरकार किसानों का एक-एक दाना लेने के लिए संकल्पित है। इसमें नफा और नुकसान की बात नहीं है। उड़द और मूंग खुले बाजार में बेचने के प्रयास हो रहे हैं। सरकार के द्वारा निर्धारित दर से कम दाम पर मूंग नहीं बेची जा सकती है।
वर्ष खरीदी