Priyanshi Soni
16 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। भारतीय सेना के जवानों ने 15 अक्टूबर को 32,000 फीट की ऊंचाई से देश में बने मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम (MCPS) की सफल टेस्टिंग की। इस छलांग के साथ भारत ने साबित कर दिया कि, वह अब हाई-एल्टीट्यूड कॉम्बैट टेक्नोलॉजी में भी पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुका है।
इस प्रोजेक्ट को दो DRDO लैब्स ADRE आगरा और DEBEL बेंगलुरु ने मिलकर तैयार किया है। ADRE ने पैराशूट की डिजाइन, एरोडायनेमिक्स और सामग्री पर काम किया। वहीं DEBEL ने ऑक्सीजन सिस्टम, बायोइंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स विकसित किए।
टेस्टिंग के दौरान इंडियन एयर फोर्स के तीन प्रशिक्षित पैराट्रूपर्स ने 32,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई। इस ऊंचाई पर तापमान माइनस 40 डिग्री तक होता है और ऑक्सीजन बेहद कम होती है, फिर भी यह पैराशूट सिस्टम पूरी तरह स्थिर रहा और सैनिकों को सटीक लैंडिंग जोन तक सुरक्षित पहुंचाया।
इस पैराशूट का डिजाइन Ram-Air Rectangular Canopy पर आधारित है। यानी एक ऐसा पैराशूट जिसे सैनिक दिशा बदलते हुए नियंत्रित तरीके से चला सकते हैं।
ऊंचाई क्षमता: 32,000 फीट तक
लोड कैपेसिटी: 150 किलोग्राम (सैनिक + किट)
सेफ्टी फीचर: मेन और रिजर्व दोनों कैनोपी मौजूद, एक फट जाए तो दूसरी काम आएगी।
ऑटोमेशन: सैनिक समय पर पैराशूट न खोले तो सिस्टम खुद खुल जाएगा।
ऑक्सीजन सिस्टम: ऊंचाई पर सांस लेने के लिए इनबिल्ट ब्रीदिंग सिस्टम।
नाइट विजन कम्पैटिबल: रात और दिन दोनों में उपयोग योग्य।
इंडियन नेविगेशन सिस्टम (NavIC) से लैस : पैराशूट सिस्टम की सबसे बड़ी विशेषता इसका ‘Navigation with Indian Constellation (NavIC)’ से लैस होना है। यह भारत का स्वदेशी सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जो GPS की तरह सटीक दिशा और लोकेशन बताता है। इससे पैराट्रूपर्स अब विदेशी तकनीक पर निर्भर हुए बिना सही जगह पर लैंडिंग कर सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि को ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताया है। यह सिस्टम अब भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इस्तेमाल होने वाला पहला और एकमात्र स्वदेशी कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम बन गया है। जिसे 25,000 फीट से ऊपर भी तैनात किया जा सकता है। इसके आने से भारत को पैराशूट आयात पर निर्भरता खत्म करने में मदद मिलेगी। कम लागत, आसान रखरखाव और घरेलू उत्पादन के कारण यह ‘Make in India’ पहल का प्रतीक बन गया है।
वहीं, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने कहा, “यह सिर्फ एक पैराशूट नहीं, बल्कि भारत की नवाचार क्षमता और आत्मनिर्भरता की उड़ान है।” यह भारत को “कम्प्लीट स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी” देता है यानी ऊंचाई वाले ऑपरेशनों में अब पूरी तरह आत्मनिर्भरता