संचालक, मंत्री बेखबर... आखिर कहां गायब हो गईं नाप तौल विभाग की करोड़ों रुपए से खरीदी गई मशीनें
विजय एस. गौर
भोपाल। कृषि उपज मंडियों में किसानों के उपज के साथ कारखानों में ट्रकों से आने वाले माल की तुलाई सही हो रही है या नहीं, इसकी जांच के लिए डेढ़ दशक पहले केंद्र सरकार की मदद से खरीदे गए करोड़ों के मोबाइल व्हेब्रिज टेस्टिंग किट वाहन गायब हो गए हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसकी जानकारी नाप तौल नियंत्रक से लेकर विभागीय मंत्री तक को नहीं है। दरअसल, किसानों की उपज की तौल में गड़बड़ी की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने डेढ़ दशक पूर्व मप्र सरकार को 2.10 करोड़ रुपए देकर चार हाइड्रोलिक वाले मोबाइल व्हेब्रिज टेस्टिंग किट वाहन खरीदवाए थे। इनको प्रदेशभर की कृषि मंडियों से लेकर कारखानों के धर्मकांटों की जांच करनी थी, ताकि सही तौल और सही भुगतान हो सके। इन मशीनों से जांच तो दूर, भोपाल स्थित नाप तौल मुख्यालय से यह मशीनें कहां गायब हो गर्इं, किसी को पता नहीं।
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कब -कब खरीदी मशीनें
-2008 में 56-56 लाख रुपए कीमत की दो मशीनें खरीदी गई थीं।
-2010 में दो मशीनें और आर्इं, जिनकी कीमत 49-49 लाख रुपए थीं।
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इसलिए केंद्र ने दिया था बजट
प्रदेश की कृषि उपज मंडियों से लेकर सड़कों के किनारे प्राइवेट धर्मकांटे लगे हैं। यहां तौल में गड़बड़ी की शिकायतें आम हैं। चारों मोबाइल व्हेब्रिज टेस्टिंग किट वाहन से प्रदेश के धर्म कांटों की जांच होनी थी।
कहां हैं ड्राइवर और हेल्पर?
चारों वाहनों में हाइड्रोलिक सहित कई सिस्टम थे। इनको चलाने के लिए ऊंचे वेतन पर चार विशेष ड्राइवर और चार हेल्पर रखे गए थे। मशीनें एक दिन भी नहीं चलीं। इसके गायब होने के बाद चारों ड्राइवर और हेल्पर कहां हैं, यह विभाग के अधिकारियों को भी पता नहीं है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार ?
नापतौल की करोड़ों की चलित मशीनों के बारे में जानकारी नहीं है। यह पता करेंगे कि कौन सी मशीनें थीं और जिन अधिकारियों या जिलों को अलॉट की गर्इं, तो क्या हुआ। जानकारी लेंगे कि कि ये मशीनें कहां हैं।
-रंजना पाटने, नियंत्रक, नाप तौल विभाग
हमारे संज्ञान में नहीं है कि ऐसे कोई मोबाइल वाहन खरीदे गए थे। पीपुल्स समाचार द्वारा इस मुद्दे को सामने लाने के बाद जांच करवाएंगे कि आखिर मशीनें आई भी या नहीं और अगर आई थीं तो कहां और किस जिले में कब से खड़ी हैं।
-गोविंद सिंह राजपूत, मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति