Aakash Waghmare
21 Oct 2025
Mithilesh Yadav
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Priyanshi Soni
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पल्लवी वाघेला
भोपाल। मामूली बातों में तनाव इतना बढ़ा कि मामला कोर्ट तक जा पहुंचा और अंतत: दोनों ने तलाक ले लिया। हालांकि, तलाक के एक साल के अंदर ही दंपति को महसूस होने लगा कि उनका फैसला सही नहीं था। नतीजा, एक साल पहले ली तलाक की डिक्री को कैंसल कराने एक बार फिर कोर्ट पहुंच गए। भोपाल फैमिली कोर्ट में इस तरह के दो मामले पहुंचे हैं। एक में पत्नी की जिद पर पति तलाक के लिए राजी हो गया था। दूसरे मामले में दंपति ने रजामंदी से तलाक लिया था, लेकिन दोनों ही मामलों में वह दोबारा साथ जीने का मन बना चुके हैं। इनमें से एक दंपति की तलाक की डिक्री को रद्द भी कर दिया गया है। वहीं, दूसरे मामले में भी जल्द फैसला संभावित है।
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दूसरे मामले में पत्नी ने संयुक्त परिवार में न रहने की जिद और मायके वालों के कहने में आकर तलाक की जिद पकड़ ली थी। पत्नी नहीं मानी तो पति ने भी तलाक को हां कह दी। दोनों की कोई संतान नहीं है। मायके में रहते हुए पत्नी को 14 माह बीते। पत्नी ने तलाक की डिक्री रद्द करने अपील की। काउंसलिंग में उसने कहा कि जिन घरवालों की बात में आकर उसने ससुराल के खिलाफ बात की, अब वही लोग उसे उलाहने देते हैं। मामले में पति का विश्वास पत्नी से डगमगा चुका है। पति ने कहा कि वह कभी अलग होना नहीं चाहता था, लेकिन अब दोबारा साथ आने के लिए उसे कुछ समय चाहिए।
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कोलार रोड निवासी दंपति की शादी 2010 में हुई थी और दोनों का तलाक आपसी सहमति से बीते साल अक्टूबर माह में हुआ था। दोनों के जुड़वा बच्चे हैं। शादी के बाद दोनों के बीच घर-परिवार से जुड़े मुददों को लेकर छोटी-छोटी बातों पर तकरार शुरू हुई। यह तकरार धीरे-धीरे बड़े झगड़ों में बदल गई। तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी मां को सौंपी गई, लेकिन पिता हर हफ्ते दो दिन बच्चों से मिल सकता था। साथ ही बच्चों को अपने पास रहने भी बुला सकता था। पति हर हफ्ते बच्चों से मिलने जाता था।
इस दौरान पूर्व पत्नी से भी मुलाकात होती थी। दंपति ने महसूस किया कि अब जब वो बात करते हैं तो दोनों के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग महसूस होती है। दोनों एक दूसरे की परेशानी समझने लगे। एक दिन पति ने पहल करते हुए कहा कि हम शायद पहले ही समझदारी से बैठकर बात करते तो तलाक की नौबत नहीं आती। क्या हम दोबारा साथ आ सकते हैं। हालांकि, पत्नी पहले हिचकिचाई लेकिन उसने मना भी नहीं किया। तब पति ने पहल करते हुए तलाक की डिक्री को चुनौती दी। जब कोर्ट में दोबारा दोनों आमने-सामने आए तो पत्नी ने स्वीकारा कि वह भी साथ रहना चाहती है। इसके बाद उनकी तलाक की डिक्री कैंसिल हो गई।