साल 2011 में ललपुर में स्थापित किए गए 41 किलो वजनी चांदी के श्री गणेश, 24 घंटे पहरेदारी करते हैं 4 गार्ड्स
सतीश श्रीवास्तव
जबलपुर। ललपुर के चांदी के गणेश पूरे प्रदेश में ख्यात हैं। नर्मदा तट के समीप ललपुर में वर्ष 2011 में चांदी के गणेश जी रखे गए थे। उस समय चांदी के जिन गणेशजी की प्रतिमा विराजमान की गई थी, वह केवल 11 इंच की थी। साल दर साल इनका आकार बढ़ता रहा और वर्ष 2025 में इनका आकार बढ़कर 51 इंच हो गया। इतनी बड़ी प्रतिमा बनवाने में 41 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया। इतनी चांदी भक्तों के दान से एकत्र कीगई है। यहां प्रतिमा की स्थापना नर्मदा स्नान के बाद की जाती है और अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन नर्मदा जल के कुंड में किया जाता है। चांदी के गणेशजी को वर्ष भर बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखा जाता है। वहीं गणेश पर्व के पूर्व लॉकर से निकालकर विधि-विधान से प्रतिमा विराजमान की जाती है। इन दिनों गणेशजी की सुरक्षा में 4 गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं। वहीं गौरीघाट पुलिस भी रात में कई बार गश्त करती है। शुरुआत में 11 इंच, फिर 21, 31 और अब 41 इंच के गणेश भगवान विराजमान हो चुके हैं।
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यहां प्रतिदिन होता है भंडारा
रजत गणेश के प्रमुख पुजारी प्रमोद तिवारी ने बताया कि पहले दिन से आरती के बाद प्रसाद और भंडारा होता है। वर्ष में एक बार ही गणेशोत्सव के दौरान ही चांदी के गणेश के दर्शन भक्तों को मिल पाते हैं। यही वजह है कि सिद्ध गणेश धाम पहुंचकर सच्चे मन से मांगने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना यहां पर पूर्ण होती है।
साल भर एकत्र की जाती है चांदी
रजत गणेशजी के विस्तार के लिए श्रद्धालु वर्ष भर चांदी दान करते हैं। कई श्रद्धालु चांदी के 11 से 51 सिक्के तक दान कर चुके हैं। वहीं, अनेक भक्त सीधे चांदी ही अर्पित करते हैं। इसी तरह एकत्र चांदी से सिंहासन सहित 41 किलो की चांदी के गणेशजी तैयार किए गए हैं।
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इस बार ज्वैलर के यहां रखी जाएगी प्रतिमा
ललपुर के पं. प्रमोद तिवारी ने बताया मैंने 11 इंच की चांदी के गणेशजी की प्रतिमा से शुरुआत की थी। अब 51 इंच तक पहुंच गई है। जब तक मूर्ति छोटी थी, तो लॉकर में रखी जाती थी। इतनी बड़ी मूर्ति लॉकर में रखना संभव नहीं है, इस लिए इस साल ज्वेलर के यहां प्रतिमा रखी जाएगी।