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बंद कमरों में बैठकर डीपीआर बनाने वाले पीएचई के 141 इंजीनियरों को भेजे गए नोटिस

इस लापरवाही के चलते योजना डेढ़ साल लेट हुई, राज्य सरकार को लगी 2,800 करोड़ की चपत

अशोक गौतम

भोपाल। बंद कमरों में बैठकर बिना फील्ड में गए नल जन योजनाओं की डीपीआर बनाने वाले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के 141 इंजीनियरों को नोटिस जारी किया गया है। वहीं इस मामले में तत्कालीन ईएनसी केके सोनगरिया और संबंधित संभागों के चीफ इंजीनियरों को सरकार ने क्लीन चिट दे दी है। विभाग के इंजीनियरों ने जल जीवन मिशन के तरह एकल नल जल योजनाओं की डीपीआर का सही आंकलन नहीं किया था। इसके चलते योजना डेढ़ साल लेट हुई। साथ ही राज्य सरकार को 2,800 करोड़ रुपए अतिरिक्त देना पड़ रहे हैं। इंजीनियरों से परियोजना के दौरान किए गए आंकलन के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। जवाब के बाद सरकार उनके खिलाफ अगला कदम उठाएगी।

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आधी परियोजनाओं का गलत आंकलन

प्रदेश में 19 हजार के करीब एकल नल जल योजनाओं की डीपीआर तैयार की गई थी। सरकार को इनमें से 8,358 योजनाओं को तीन साल के अंदर रिवाइज करना पड़ रहा है। ये योजनाएं, डीपीआर और लागत राशि केंद्र सरकार को भेजी गई थी। केंद्र सरकार ने यह कहा था कि अब इसके बाद अगर परियोजना में विस्तार की जरूरत हुई तो राज्य सरकार को इसमें राशि देनी होगी।

दो दर्जन से ज्यादा इंजीनियर रिटायर

-डीपीआर और आंकलन रिपोर्ट गलत तैयार करने वाले इंजीनियरों को नोटिस जारी।

-हालांकि इनमें दो दर्जन इंजीनियर सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

-इसमें से भी आधे से ज्यादा इंजीनियरों को रिटायर हुए 4 साल हो गए हैं।

-उनसे सरकार न तो रिकवरी कर सकती है और न उनके खिलाफ कार्रवाई ।

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एकल नल जल की हैं सभी योजनाएं

सभी रिवाइज योजनाएं एकल नल जल की हैं। इसमें मैदानी अधिकारियों की गलती है। डीपीआर और आंकलन रिपोर्ट तैयार करने में चीफ इंजीनियर और ईएनसी की कोई भूमिका नहीं होती है। इसके चलते इन्हें दोषी नहीं माना गया है।

पी. नरहरि, प्रमुख सचिव, पीएचई

ईएनसी-चीफ इंजीनियरों का इसमें कोई रोल नहीं

यह काम सब इंजीनियर और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के स्तर का काम था। इन्हीं लोगों को सर्वे और डीपीआर एप्रूव करना था। ईएनसी और चीफ इंजीनियरों को इसमें कोई रोल नहीं था।

-केके सोनगरिया, रिटायर्ड ईएनसी, पीएचई

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कोविड के समय बनाई गई डीपीआर      

मैदानी इंजीनियरों को जल्द से जल्द डीपीआर जमा करने के निर्देश दिए जाते हैं। जिस समय जल जीवन मिशन का डीपीआर बनाई गई वह कोविड का समय था। कहीं आना-जाना मुश्किल था। अगर ये अधिकारी दोषी है तो ईएनसी और चीफ इंजीनियर भी उतने ही दोषी हैं, क्योंकि आखिरी जिम्मेदार वे ही होते हैं।

-वीकेएस परिहार, अध्यक्ष, इंजीनियरिंग एंड एम्प्लाइज एसोसिएशन

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Aniruddh Singh
By Aniruddh Singh
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