Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
Peoples Reporter
4 Nov 2025
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर लगे प्रतिबंध के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक ऐसे वाहनों और उनके मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 2018 के उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार का कहना है कि इस नीति में लचीलापन जरूरी है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति विनोद के. चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने इस मामले में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी किया है। आयोग को चार सप्ताह के भीतर इस पर जवाब देने को कहा गया है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कई वाहन मालिक अपने वाहन का उपयोग बेहद सीमित रूप से करते हैं, जैसे घर से दफ्तर आना-जाना, जिससे साल में मुश्किल से 2000 किलोमीटर ही वाहन चलता है। उन्होंने कहा कि ऐसे वाहनों को भी 10 साल पूरे होने पर बेचने की बाध्यता अनुचित है और इस नीति की समीक्षा जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा कि सुनवाई पूरी होने तक पुराने वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई जुर्माना, जब्ती या अन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, अदालत ने दिल्ली सरकार की याचिका पर विचार करते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा।
दिल्ली सरकार ने इस साल जुलाई में ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नीति लागू की थी, जिसके तहत 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन जनता के विरोध के कारण यह नीति लागू होने के सिर्फ दो दिन बाद ही रोक दी गई थी।