Manisha Dhanwani
22 Dec 2025
इंदौर। शहर में साइबर ठगों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब बिना यूपीआई ऐप इस्तेमाल किए भी लोगों के बैंक खाते खाली किए जा रहे हैं। लसूड़िया थाना क्षेत्र में एक युवक से करीब एक लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है। साइबर सेल की जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में अज्ञात आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
पीड़ित योगेन्द्र जादौन, निवासी स्कीम नंबर 114, ने अगस्त 2025 में बैंक ऑफ बड़ौदा में अपना खाता नेट बैंकिंग के लिए एक्टिव कराया था। जादौन के मुताबिक, उन्होंने 30 अगस्त को ही नेट बैंकिंग शुरू कराई थी और किसी भी तरह का यूपीआई ऐप डाउनलोड कर ट्रांजेक्शन शुरू करने से पहले ही उसी रात उनके खाते से राशि गायब हो गई।
1930 पर शिकायत के बावजूद निकलते रहे पैसे
ठगी का पता चलते ही जादौन ने तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि शिकायत पर कार्रवाई शुरू होने से पहले ही 1 से 3 सितंबर के बीच कई किस्तों में फिर पैसे निकाल लिए गए। कुल मिलाकर युवक के खाते से करीब एक लाख रुपए की राशि साफ हो गई।
इसके बाद पीड़ित ने साइबर सेल में लिखित शिकायत की। साइबर सेल ने तकनीकी जांच के बाद बताया कि रकम यूपीआई ऐप के माध्यम से ट्रांसफर की गई है। इस पर पीड़ित ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो कोई यूपीआई ऐप डाउनलोड किया और न ही किसी को ओटीपी या जानकारी साझा की।
तकनीकी साक्ष्यों से आरोपी तक पहुंचने की कोशिश
साइबर सेल ने जांच पूरी कर प्रकरण लसूड़िया पुलिस को सौंप दिया है। पुलिस ने अज्ञात साइबर ठग के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ट्रांजेक्शन डिटेल, आईपी एड्रेस, डिवाइस लॉग और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी की पहचान की जा रही है।
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या सिर्फ नेट बैंकिंग एक्टिव कराना भी अब सुरक्षित नहीं रहा? और साइबर ठग बैंकिंग सिस्टम में इतनी आसानी से सेंध कैसे लगा रहे हैं? पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपी तक पहुंचकर सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन तब तक आम लोग साइबर ठगी के खतरे के बीच असहाय नजर आ रहे हैं।