Naresh Bhagoria
18 Nov 2025
इंदौर — मध्य प्रदेश में हड्डियाँ जमा देने वाली ठंड और शीतलहर की चेतावनी के बीच, सोमवार को कलेक्टर शिवम वर्मा ने सभी स्कूलों का समय बदलने के साफ निर्देश जारी किए थे। आदेश एकदम स्पष्ट था—नन्हे बच्चों की सुरक्षा पहले, बाकी बातें बाद में। लेकिन इंदौर के बड़े-बड़े लों ने इस आदेश को ऐसे ठेंगा दिखाया, जैसे प्रशासन कोई सुझाव दे रहा हो।
सुबह की जमा देने वाली सर्द हवा में परिजन घंटों परेशान रहे। बच्चे गाड़ियों में कंबल में लिपटे ठिठुरते दिखे, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट के रवैये में रत्तीभर नरमी नहीं आई। कई अभिभावकों ने रातभर मैसेज कर-कर के थक गए, लेकिन किसी स्कूल ने देखा तक नहीं किया—मानो जवाब देना उनकी शान के खिलाफ हो। सुबह 7 बजे से निपानिया, महालक्ष्मी नगर, स्कीम 140 जैसे इलाकों में बसों के हॉर्न गूंज रहे थे, और सड़कों पर स्कूल बसों की रफ्तार देख लोग हैरान थे—“क्या ये वही शहर है जहां कलेक्टर के आदेश लागू होते हैं?”
प्रशासन को सीधी चुनौती – नामी स्कूलों की अकड़ बरकरार
इंदौर के जिन प्रतिष्ठानों पर हमेशा से प्रशासनिक आदेशों को रौंदने के आरोप लगते रहे हैं, उन्होंने एक बार फिर वही कहानी दोहरा दी। निपानिया का डीपीएस हो, भवन्स, शिशुकुंज, एड़वास अकैडमी, द एमराल्ड हाइट्स इंटरनेशनल स्कूल, श्री सत्य साईं विद्या विहार या स्कीम 140 के मेडिकेपस इन तमाम बड़े स्कूलों ने कलेक्टर के आदेश को खुलेआम हवा में उड़ा दिया। इन संस्थानों का रवैया साफ कहता है “कलेक्टर आदेश दे दें या सरकार गाइडलाइन जारी कर दे… हम अपने हिसाब से ही चलेंगे।” प्रशासन के निर्देश इन स्कूलों के लिए मानो “कानून” नहीं, बल्कि “सलाह” भर रह गए हैं। और यह पहली बार नहीं––कई बार ऐसी परिस्थितियों में यही नामी संस्थान आदेशों पर ऐसे चलते हैं, जैसे पूरा शहर उनकी मनमानी का बंधक हो।