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ISRO का मिशन मून : 22 दिन बाद चांद की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3, आज रात करीब 11 बजे ऑर्बिट घटाएगा इसरो

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज यानी रविवार 6 अगस्त को रात करीब 11 बजे चंद्रयान-3 की ऑर्बिट कम करेगा। फिलहाल स्‍पेसक्राफ्ट चांद से सबसे कम दूरी 164 Km और सबसे ज्यादा दूरी 18074 Km के ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। 22 दिन के सफर के बाद पांच अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रयान ने  चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।

चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम दुरुस्त : ISRO

अगले 17 दिन तक चंद्रयान-3 उसी तरह धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर बढ़ेगा। लॉन्च के बाद तीन हफ्तों के दौरान पांच चरणों में इसरो ने इसे पृथ्वी से दूर भेजा था। जिसके बाद 1 अगस्त को इसे पृथ्वी की ऑर्बिट से चंद्रमा की ओर भेजा गया था। इसरो ने ट्वीट करके कहा कि, चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम दुरुस्त हैं। ISTRAC बेंगलुरु में मौजूद मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार निगरानी की जा रही है। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 km x 36,500 km के ऑर्बिट में छोड़ा गया था। 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान 4 बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा।

50 दिन की यात्रा के बाद कराई जाएगी लैंडिंग

करीब 50 दिन की यात्रा के बाद 23-24 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। अगर दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग होती है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह मिशन 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है। ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM3-M4 रॉकेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्पेस एजेंसी इसरो ने इसी रॉकेट से चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था। इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था।

भारत की आशाओं को आगे बढ़ाएगा यह मिशन : PM

लॉन्चिंग के दिन पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा था, जहां तक ​​भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की बात है तो 14 जुलाई 2023 हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगा। आज हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकलेगा। हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को यह मिशन आगे बढ़ाएगा। https://twitter.com/psamachar1/status/1679783170487599106?s=20

चंद्रयान-3 कैसे अलग है चंद्रयान-2 से?

चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जबकि चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को छोड़कर, चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। यह कम्यूनिकेशन के लिए है। चंद्रयान-3 का मकसद दुनिया को यह बताना है कि, भारत दूसरे ग्रह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता। वहां अपना रोवर चला सकता है। इसके साथ ही चांद की सतह, वायुमंडल और जमीन के अंदर होने वाली हलचलों का पता करना है।

कब-कब लॉन्च हुए चंद्रयान?

  • चंद्रयान-1 : साल 2008
  • चंद्रयान-2 : साल 2019
  • चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जबकि चंद्रयान-2 में ऑर्बिटर के साथ-साथ लैंडर और रोवर भी थे। वहीं चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही रहेंगे।
  • इस बार भी इसरो ने लैंडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का ‘प्रज्ञान’ रखा है। लैंडर और रोवर के चंद्रयान-2 में भी यही नाम थे।
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Manisha Dhanwani
By Manisha Dhanwani
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