Manisha Dhanwani
5 Nov 2025
नई दिल्ली। साल 19 47 में आजादी मिलने के बाद से देश के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में देश के किसान मुख्य रूप से बारिश पर ही निर्भर हुआ करते थे, इस वजह से कृषि उत्पादकता काफी सीमित थी। 1960-70 के दशक में शुरु हुई हरित क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों के बीजों, सिंचाई सुविधाओं के विस्तार, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। उस दौर में पंजाब और हरियाणा इस हरित क्रांति के अगुवा बने। बाद में इस महाअभियान से मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य राज्य भी जुड़ गए और देश के किसानों में खुशहाली आनी शुरू हुई। इस दौर में कृषि, देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी थी। साल 1991 में, शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के दौर में, भारतीय अर्थव्यवस्था में भी बड़े नीतिगत बदलाव आए। इस दौरान कृषि क्षेत्र पर फोकस बढ़ा।
देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के बाद, कृषि क्षेत्र में निजी निवेश का प्रवेश हुआ तो इसने व्यापार का रूप लेना शुरू किया। पारंपरिक कृषि परंपराओं के साथ इसमें नवाचार जुड़े और कृषि उत्पादन में और उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली। तकनीक ने कृषि के आधुनिकीकरण में अहम भूमिका निभाई। आज सामान्य कृषि उपकरणों के अलावा ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकों ने कृषि को न केवल बेहद आसान बना दिया है, बल्कि उत्पादकता को भी कई गुना तक बढ़ा दिया है। आज भारत, विश्व में अनाज का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। हमारा कृषि क्षेत्र आज न केवल बहुत बड़ी संख्या में देश के लोगों को रोजगार देता है, बल्कि देश की जीडीपी में भी अच्छा खासा योगदान करता है।
-ड्रोन प्रौद्योगिकी : वर्ष 2021 में सरकार ने कृषि मशीनरी प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा ड्रोन खरीदने के लिए कृषि ड्रोन की लागत के 100% तक सब्सिडी को मंजूरी दी थी।
-नमो ड्रोन दीदी : योजना का लक्ष्य वर्ष 2023-24 से 2025-2026 की अवधि के दौरान 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराना है।
-सैटेलाइट इमेजिंग और रिमोट सेंसिंग : 2022 में लॉन्च इसरो के आरआईएसएटी-1ए उपग्रह का उपयोग कृषि मूल्यांकन एवं सुधार में किया जाने लगा। इससे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए।
-हैप्पी सीडर : यह धान की पराली हटाए बिना गेहूं की बुवाई संभव बनाती है। यह पराली जलने से वायु प्रदूषण से निपटने में मददगार है।
-2013-14 में 27,663 करोड़ रुपए था देश का कृषि बजट
-2020-21 में यह बढ़कर 1,34,400 करोड़ रुपए हो गया
-2024-25 में यह बढ़कर 1,37,664.35 करोड़ हो गया
-अब तक 7.71 करोड़ किसानों को 10 लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया जा चुका है।
-देश में 1.75 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए और 8,272 मृदा परीक्षण लैब स्थापित की गई हैं।
-पीएम किसान सम्मान निधि : अब तक 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को 3.7 लाख करोड़ राशि दी गई है।
-2014-15 से लेकर 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन में 31 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है
-2014-15 में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन 265.05 मिलियन टन था।
-2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 347.44 मिलियन टन हो गया है।
मैं शिवपुरी जिले के छोटे से गांव लुकवासा की रहने वाली हूं। गांव में घर के अंदर या बाहर बड़े-बुजुर्गों के सामने महिलाओं को घूंघट की ओट में ही रहना पड़ता है। मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद मेरी सोच बदली। मेरा नाम ‘ड्रोन दीदी’ के लिए दिया गया, तो सोचा कि ड्रोन कैसे उड़ाउंगी। मुझे तो मोबाइल फोन और साइकिल तक चलानी नहीं आती थी। ट्रेनिंग के बाद मुझे ड्रोन मिला। आज ड्रोन से खेतों में दवाई का छिड़काव करती हूं। इससे आमदनी बढ़ी है। लोग सम्मान की नजर से देखते हैं। ड्रोन ने नई पहचान दी है।
- रेखा ओझा, ड्रोन दीदी, शिवपुरी, मप्र
ड्रोन ने न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मुझे नई पहचान भी दी है। अब गांव के लोग मुझे सम्मान से ड्रोन दीदी कहकर बुलाते हैं। ड्रोन दीदी योजना उन महिलाओं के लिए उम्मीद बनकर आई है, जो कुछ करना चाहती हैं, लेकिन संसाधनों की कमी से पीछे रह जाती थीं।
- रचना पटेल, ड्रोन दीदी, ग्राम फुलकारिया, इंदौर
पहले 8-9 हजार ही कमा पाती थीं, अब 15-20 हजार अब कमाती हैं हर माह
पहले सीमित संसाधनों में परिवार चलाना पड़ता था। शिक्षित होने के बाद भी परिवार की मदद नहीं कर पा रही थी। ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत चल रही ‘ड्रोन दीदी’ योजना से जुड़ने के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया। आज खेतों में ड्रोन से दवा का छिड़काव कर हर महीने 15-20 हजार रुपए कमा रही हूं। यह कहना है इंदौर जिले के ग्राम फुलकारिया की रहने वाली रचना पटेल की। वह कहती हैं, समाज की रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए महिलाएं अब उन क्षेत्रों में भी कदम रख रही हैं, जहां पहले कभी पुरुषों का वर्चस्व रहता था।
रचना पटेल बताती हैं कि ड्रोन संचालन में दक्षता ने अब न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बना दिया है, बल्कि उनकी पहचान को भी एक नया आयाम दिया है। अब गांव और क्षेत्र के लोग मुझे सम्मान से ‘ड्रोन दीदी’ कहकर बुलाते हैं। उनके अनुसार, इस योजना के तहत महिलाओं को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है, जिससे कि वह कृषि के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। उनके अनुसार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में यह योजना प्र्रभावी साबित हो रही है।