Manisha Dhanwani
6 Dec 2025
भोपाल। प्रदेश में स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को ऑफलाइन और ऑनलाइन 33, 520 शिकायतें अभी तक मिल चुकी है। इसमें मीटर तेज भागने और ज्यादा बिल आने की शिकायतें शामिल है। वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्मार्ट मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं की सहमति लेना अनिवार्य नहीं है। यानी यह मीटर लगाना अनिवार्य है। कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया, कैलाश कुशवाहा, कंचन मुकेश तन्वे, डॉ. सतीश सिकरवार, नारायण सिंह पट्टा सहित अन्य विधायकों ने शुक्रवार को सदन में स्मार्ट मीटर, बिजली और उसकी खरीदी, बिक्री से संबंधित कई सवाल लगाए।

कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने कहा कि शिकायतों के मामलों के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित की जाए, इसमें विधायक को भी रखा जाए,जवाब में संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जिला स्तर पर शिकायतों के निराकरण के लिए पहले से कमेटी गठित है। विधायक कुशवाहा ने स्मार्ट मीटर लगाने का औचित्य पूछते हुए आशंका जताई कि क्या बिजली कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है। तोमर ने कंपनियों के बचाव में सफाई दी।
एक अन्य सवाल के जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर ने लिखित जवाब में बताया कि प्रदेश में उच्चदाब उपभोक्ताओं पर 1,228.55 करोड़ रुपए का बकाया बाकी है। इसमें से सबसे ज्यादा बकायादार पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर क्षेत्र में 905 बकायादार हैं। इसमें से 366 के बिजली कनेक्शन काटे गए हैं। इन उपभोक्ताओं पर 522.32 करोड़ का बिजली बिल बकाया है। इन बड़े बकायादारों से रिकवरी के लिए अभियान भी चलाया जा रहा है।
कालानी नगर इंदौर के रहवासी राजू सोनवणे ने बताया कि कंपनी ने मेरे विरोध के बावजूद मेरे घर के परिसर में स्मार्ट मीटर लगाया है। तीन माह से बिल भी ज्यादा आ रहे हैं। मैंने ऑनलान और ऑफलाइन शिकायतें भी की है। इसके बाद उन्होंने एक चेक मीटर लगा दिया है। नई बिल आने पर स्थिति पता चलेगी।