आज की तेज रफ्तार और तनाव भरी जिंदगी में छोटी-छोटी सेहत की समस्याओं को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। आमतौर पर हम मानते हैं कि दौड़ने, सीढ़ियां चढ़ने या तेज चलने से ही दिल की धड़कन बढ़ती है। लेकिन अगर बिना किसी शारीरिक मेहनत के, आराम से बैठे-बैठे ही धड़कन बार-बार तेज हो रही है, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है।
बैठे-बैठे धड़कन तेज होना - एरिथमिया का संकेत
अगर बैठे हुए ही दिल की धड़कन तेज हो रही है, साथ में सीने में बेचैनी, सांस फूलना या कमजोरी भी महसूस हो रही है, तो यह एरिथमिया नाम की बीमारी का लक्षण हो सकता है।
एरिथमिया में दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है — कभी बहुत तेज, कभी धीमी या अनियमित। यह दिल के पावर सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होता है, जिससे दिल सही तरीके से पंप नहीं कर पाता।
धड़कन तेज होने के संभावित कारण
- ज्यादा तनाव या चिंता – मानसिक तनाव, पैनिक अटैक या एंग्जायटी हार्ट रेट बढ़ा सकती है।
- कैफीन, शराब या धूम्रपान – चाय-कॉफी, शराब या सिगरेट का ज्यादा सेवन दिल की गति को प्रभावित करता है।
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स – कुछ दवाएं भी हार्ट बीट पर असर डालती हैं।
- दिल की बीमारी – हार्ट मसल्स में गड़बड़ी या पहले से मौजूद हार्ट डिजीज।
- डिहाइड्रेशन – पानी की कमी से दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन – पोटैशियम, मैग्नीशियम और सोडियम की कमी से हार्ट रेट बिगड़ सकता है।
- हाइपरथायरायडिज्म – थायराइड के ज्यादा सक्रिय होने पर आराम में भी धड़कन तेज हो सकती है।
- लो ब्लड शुगर – शुगर लेवल कम होने पर घबराहट, पसीना और हार्ट रेट बढ़ना।
- हाई बीपी और कोरोनरी आर्टरी डिजीज – इन बीमारियों में बैठे-बैठे भी धड़कन तेज हो सकती है।