Mithilesh Yadav
4 Nov 2025
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4 Nov 2025
Aakash Waghmare
4 Nov 2025
Mithilesh Yadav
4 Nov 2025
उज्जैन। सावन मास के पहले सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की प्रथम सवारी भव्य वैदिक थीम के साथ आज उज्जैन में निकाली गई। भगवान महाकाल नई पालकी में सवार होकर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। शाही ठाठ में निकली यह सवारी महाकाल मंदिर से आरंभ होकर शिप्रा नदी तक पहुंचेगी, जहां पूजन के बाद वापस मंदिर लौटेगी। इस विशेष अवसर पर भजन मंडलियां, डमरू दल और हजारों श्रद्धालु धार्मिक उत्साह से भरे नजर आए।
भगवान महाकाल अपने मनमहेश स्वरूप में नगर भ्रमण पर निकले हैं। 10 साल बाद सवारी में चांदी की नई पालकी को शामिल किया गया है।
इस वर्ष पहली बार भगवान महाकाल नई पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। यह पालकी भिलाई के एक भक्त ने गुप्त दान में दी थी। सागौन की लकड़ी और मजबूत स्टील के पाइप से बनी यह पालकी 100 किलो वजनी है, जिसकी लंबाई 17 फीट, चौड़ाई 3 फीट और ऊंचाई 5 फीट है। पालकी पर 20 किलो 600 ग्राम चांदी का आवरण चढ़ा है, जिस पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल और सिंह की सुंदर नक्काशी की गई है। पालकी को उठाने वाले हत्थों पर भी सिंह मुख की आकृति बनी है, जो इसकी शाही भव्यता को और बढ़ाती है।
महाकाल की सवारी में बड़ी संख्या में भजन मंडलियां, डमरू वादक, पारंपरिक वाद्य यंत्रों से सजे दल और श्रद्धालु शामिल हुए। सीधी से आए घसिया बाजा दल और भिलाई, भोपाल, विदिशा समेत अन्य जिलों से आई मंडलियों ने नृत्य-गान के साथ भगवान की आराधना की। कई मंडलियों की महिलाओं ने हरे रंग की एक जैसी साड़ियों में आकर्षक प्रस्तुति दी। उज्जैन की गलियों से होकर निकली यह सवारी धार्मिक उत्सव में तब्दील हो गई।
महाकाल की सवारी महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर ढालिया बाखल, रामघाट, सिद्दवट मार्ग होते हुए शिप्रा नदी तक पहुंची। यहां वैदिक विधियों से भगवान का पूजन हुआ। रात करीब 7 बजे यह पालकी वापस मंदिर पहुंचेगी, जिसके बाद मंदिर के पट शयन आरती तक खुले रहेंगे। सुबह 2:30 बजे पट खुलने के साथ दिनभर दर्शन और पूजन का सिलसिला जारी रहा।
प्रशासन ने पूरे मार्ग पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। भारी पुलिस बल, ड्रोन निगरानी, CCTV कैमरे और आपदा प्रबंधन दल सवारी के दौरान सतर्कता में जुटे रहे।
प्रथम सवारी के बाद 21 जुलाई को द्वितीय सवारी, 28 जुलाई को तृतीय, 4 अगस्त को चतुर्थ, 11 अगस्त को पंचम और 18 अगस्त को अंतिम राजसी सवारी निकलेगी। हर सवारी में भगवान महाकालेश्वर अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। कभी पालकी में, कभी हाथी पर, कभी गरुड़ रथ या नंदी रथ पर विराजित होकर भगवान अपने भक्तों को दर्शन देंगे। राजसी सवारी में सातमुखी स्वरूप (सप्तधान मुखारविंद) में दर्शन होंगे।