Naresh Bhagoria
17 Nov 2025
इंदौर—एक एडवाइजरी कंपनी ने मोटे मुनाफ़े का सपना दिखाकर लोगों को ठगा, और खेल जब खुला तो पूरा मामला सीधे पुलिस तक पहुँच गया। जांच में सामने आया कि केस में एक युवक को आरोपी बनाया जाना चाहिए था, लेकिन फाइल से उसका नाम रहस्यमय तरीके से गायब कर दिया गया। शिकायतें ऊपर तक पहुँचीं, विभागीय जांच बैठी और इसी जांच ने पूरे मामले को एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया।
जांच रिपोर्ट हाथ लगते ही पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह ने तत्कालीन खजराना टीआई दिनेश वर्मा पर संदिग्ध प्रभाव का ठप्पा लगाते हुए एक साल की वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी कर दिया। डीसीपी जोन-2 कुमार प्रतीक के दफ्तर को भेजी गई रिपोर्ट में पूरी कार्रवाई का ब्योरा दर्ज है। यह पूरा मामला करीब दो साल पुराना है, जब खजराना पुलिस ने एडवाइजरी कंपनी की ठगी का पर्दाफाश किया था, लेकिन बाद में पुलिस पर ही आरोप लग गए कि एक युवक को जानबूझकर आरोपी नहीं बनाया गया।
इस केस में जांच अधिकारी रहे एसआई मुकेश झारिया पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। उस समय थाने की कमान दिनेश वर्मा के पास थी। जांच आदेश जारी होते ही उनका तबादला भी हो गया, लेकिन डीसीपी स्तर पर जांच चलती रही और हाल ही में फाइनल रिपोर्ट कमिश्नर के पास पहुँची, जिसके बाद कार्रवाई हुई।
इंदौर की चर्चित त्रिशला गृह निर्माण संस्था विवाद में प्रशासन का भूमाफिया विरोधी अभियान अब उन्हीं अफसरों को भारी पड़ गया, जो इस गिरोह पर नकेल कसने निकले थे। संस्था की शिकायत पर भोपाल लोकायुक्त ने बड़ा कदम उठाते हुए तत्कालीन अपर कलेक्टर और वर्तमान अलीराजपुर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर, तत्कालीन नायब तहसीलदार रितेश जोशी, खजराना थाना प्रभारी दिनेश वर्मा, एएसआई एन.एस. बोरकर और सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन सहित कई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(ग) में केस दर्ज किया था ।