Shivani Gupta
3 Dec 2025
Garima Vishwakarma
3 Dec 2025
पश्चिम बंगाल में 32000 प्राइमरी टीचर्स की नौकरी जाने का खतरा अब नहीं रहेगा। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने बुधवार को 2023 का फैसला पलट दिया। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीताब्रत कुमार मित्रा की बेंच ने कहा कि 9 साल बाद नौकरी खत्म करने का प्राइमरी टीचरों और उनके परिवारों पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा। 2023 में जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने 2016 में भर्ती हुए टीचरों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था।
कलकत्ता कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि CBI को मामले की जांच करने का निर्देश दिया गया था। जांच एजेंसी ने शुरू में 264 अपॉइंटमेंट की पहचान की जिन्हें एक एक्स्ट्रा मार्क दिया गया था। जांच एजेंसी को अब तक कोई सबूत नहीं मिला है कि बाहरी संस्थाओं के निर्देशों के तहत मार्क दिए गए थे।
वहीं पहचाने गए कैंडिडेट्स के अलावा, 96 और टीचर्स के नाम एजेंसी की जांच के दायरे में आए जिनकी नौकरियां बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बहाल कर दी गईं। कोर्ट ने कहा कि ऊपर दिए गए सबूत पूरे सिलेक्शन प्रोसेस को कैंसिल करने के लिए आधार नहीं बनाते हैं।
यह मामला साल 2016 का है, जब पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (WBBPE) ने प्राइमरी स्कूलों के लिए बड़ी संख्या में भर्ती की। कुल मिलाकर लगभग 42,500 शिक्षक नियुक्त हुए थे। इनमें से 6,500 शिक्षक वे थे जिन्होंने आवाश्यक डिग्री से नियुक्ति पाई थी। लेकिन इसी भर्ती में 32,000 टीचर्स को अयोग्य माना गया। उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े हुए। इसमें कुछ अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हुईं। जैसे कि अप्रशिक्षित लोगों को नौकरी दी गई या अनुभव-योग्यता की जांच सही तरीके से नहीं हुई। 12 मई 2023 को सिंगल बेंच ने उन 32,000 शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द करने का आदेश दिया।