Aniruddh Singh
4 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत के डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (डी2सी) ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड्स हाल के दिनों में निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। साल 2025 के शुरुआती नौ महीनों में ही इस सेक्टर ने जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के 20 प्रमुख डी2सी ब्यूटी ब्रांड्स जैसे सुगर कॉस्मेटिक्स, रेनी, फे ब्यूटी, इनोविस्ट आदि ने कुल 63.1 मिलियन डॉलर (लगभग 560 करोड़ रुपए) का फंड जुटाया है। यह आंकड़ा 2020 की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा है, जब इन ब्रांड्स ने कुल 21.6 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की थी। पिछले साल की तुलना में भी यह फंडिंग करीब 7% अधिक है।
इस उछाल के पीछे कई वजहें हैं-उच्च प्रॉफिट मार्जिन, ई-कॉमर्स की तेज वृद्धि और बड़ी कंपनियों की उन रणनीतियों का असर, जो अब अपने ब्रांड पोर्टफोलियो को प्रीमियम बनाकर डिजिटल मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं। वर्लिनवेस्ट के एशिया प्रमुख अर्जुन आनंद ने कहा कि ब्यूटी कैटेगरी में निवेश अन्य कंज्यूमर कैटेगरी की तुलना में कहीं अधिक लाभदायक साबित हो रहा है। उनके मुताबिक, इस सेक्टर में निवेश पर 10 से 25 गुना तक रिटर्न मिलना संभव है, जैसा कि हमने मामाअर्थ और मिनिमलिस्ट जैसे ब्रांड्स में देखा है।
2025 में कई बड़े निवेश सौदे हुए हैं। आरएएस लक्जरी स्किन केयर ने यूनीलीवर वेंचर्स की अगुवाई में 5 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया। इसी तरह आयुर्वेदिक ब्यूटी ब्रांड इंडे वाइल्ड को भी उतनी ही फंडिंग मिली, जिससे वह अमेरिका में सेफोरा के जरिए विस्तार कर सके। अगस्त में रेनी कॉस्मेटिक्स ने अपने सीरीज सी राउंड में 5.8 मिलियन डॉलर जुटाए, जबकि फॉक्सटेल ने पेंथेरा और कोसे कार्पोरेशन से 30 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की। वहीं इनोविस्ट, जो बेयर एनाटॉमी, केमिस्ट एट प्ले, और सनस्कोप जैसे ब्रांड्स की पैरेंट कंपनी है, ने आईसीसीआईसीआई वेंचर और मिराबिलिस इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट से 16 मिलियन डॉलर प्राप्त किए।
ट्रैक्सन की सह-संस्थापक नेहा सिंह के अनुसार, भारतीय ब्यूटी ब्रांड्स अब इस पूंजी का इस्तेमाल उत्पादों में नवाचार, ब्रांड विस्तार और मार्केट उपस्थिति बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। देश का ब्यूटी और पर्सनल केयर बाजार, वित्तवर्ष 25 में 24 अरब डॉलर का अनुमानित है। इसके 2030 तक 40–45 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। केवल ऑनलाइन बिक्री की बात करें तो इस कैटेगरी की डिजिटल हिस्सेदारी 2023 के 13% से बढ़कर 2024 में लगभग 17% हो गई है। डिकंस्ट्रक्ट स्किन केयर की संस्थापक मालिनी अडुपुरेड़ी का कहना है कि भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों में ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ते दायरे ने डी2सी ब्रांड्स को एक नया ग्राहक वर्ग प्रदान किया है। यही वजह है कि ये घरेलू ब्रांड्स अब वैश्विक कंपनियों से मुकाबला कर रहे हैं।
हाल ही में एचएंडएम ने भारत में अपनी ब्यूटी लाइन शुरू की है, जबकि पॉप स्टार रिहाना ने अपनी ब्रांड फेन्टी ब्यूटी को रिलायंस की टीरा के साथ साझेदारी में लॉन्च किया है। इसके अलावा एमएसी, हुडा ब्यूटी, स्मैशबॉक्स, चार्लोट टिलबरी और अनास्तासिया बेवर्ली हिल्स जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स भी भारतीय बाजार में कदम रख चुके हैं। दूसरी तरफ, कोरियाई ब्रांड्स जैसे इनिस्फ्री, सीओएसआरएक्स और ब्यूटी आफ जोसोन, हैलीयू वेव और कोरियन पॉप संस्कृति की लोकप्रियता के चलते भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित कर रहे हैं। हालांकि इनकी कीमतें काफी ऊंची हैं, जबकि भारतीय डी2सी ब्रांड्स सस्ती दरों और त्वरित ऑनलाइन डिलीवरी के दम पर ग्राहकों को अपनी ओर खींच रहे हैं।
रेनी कॉस्मेटिक्स के फाइनेंस हेड सिद्धार्थ सांगवी के मुताबिक, जहां पारंपरिक ब्रांड्स ऑफलाइन बाजार में मजबूत हैं, वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय डी2सी ब्रांड्स का दबदबा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़े समूहों जैसे एचयूएल, मैरिको और इमामी ने इसी ऑनलाइन ताकत को पाने के लिए नए ब्रांड्स का अधिग्रहण किया है। एचयूएल ने मिनिमलिस्ट में 90.5% हिस्सेदारी 2,706 करोड़ रुपए में खरीदी, मैरिको ने बियर्डो को लगभग 400 करोड़ रुपए में और इमामी ने द मैन कंपनी को अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया। वर्लिनवेस्ट के आनंद के मुताबिक, यह पूरा बदलाव भारतीय सौंदर्य बाजार के प्रीमियमाइजेशन की ओर इशारा करता है। पहले जो सेगमेंट खाली था, अब वहां नए स्टार्टअप्स ग्राहकों की बदलती मांगों को समझकर नवाचार कर रहे हैं और बाजार में अपनी मजबूत पहचान बना रहे हैं।