Manisha Dhanwani
1 Nov 2025
श्रीनगर। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को एसकेआईसीसी में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित एक सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि निर्वाचित सरकार के पास सभी अधिकार होते हैं और राज्य का दर्जा न होने का बहाना बनाकर लोगों को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को अपनी शक्तियों का उपयोग जनकल्याण के लिए करना चाहिए। इस बयान पर पलटवार करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया, ये लोग राज्य के दर्जा देने में इतना डरते क्यों है।
आगे मनोज सिन्हा ने कहा, केवल राज्य का दर्जा न मिलने को खराब प्रदर्शन का बहाना नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि पहले परिसीमन होगा, फिर विधानसभा चुनाव होंगे और बाद में राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन कुछ लोगों को इस प्रक्रिया में दिक्कतें हैं। जब चुनाव हुए थे, तो यह साफ था कि ये चुनाव केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के लिए हो रहे थे। ऐसे में (निर्वाचित सरकार) यह नहीं कह सकती कि जब तक राज्य का दर्जा नहीं मिलता, तब तक काम नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एलजी के बयान पर तीखा विरोध जताया है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एलजी को कम से कम सुप्रीम कोर्ट और संसद में जम्मू कश्मीर के लोगों से किए गए वादों का जिक्र करना चाहिए था। उमर ने कहा कि 90 विधायकों में से अधिकांश ने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए वोट मांगे थे, सिर्फ एक-दो विधायक इससे अलग थे।
एलजी पर सीधे हमला बोलते हुए उमर ने पूछा, राज्य के दर्जे से इन लोगों को इतना डर क्यों है? वे सत्ता क्यों छोड़ना नहीं चाहते?" पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए उमर ने कहा, "हमारे 26 मेहमान मारे गए थे और हमें काम करने की सलाह दी गई। हम काम करना जानते हैं। आप अपना काम करें, हम अपना काम करेंगे।"
सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, बताइए, हमें कब तक इंतजार करना चाहिए? हमें यह बताया गया था कि राज्य का दर्जा उचित समय पर बहाल कर दिया जाएगा। ठीक है, मैं इंतजार करूंगा, लेकिन मुझे बताइए कि सही समय का आकलन करने का पैमाना क्या है? हम इस 'उचित समय' का आकलन कैसे करें? बहाली के नियम और शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि हमारी सरकार को पता चले कि इसके लिए हमें क्या कदम उठाने होंगे। एक मुख्यमंत्री के रूप में मुझे यह जानकारी होनी चाहिए कि कौन सा मील का पत्थर या लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है।"
डॉ. फारूक ने कहा, एलजी झूठ बोलते हैं, वह कभी सच नहीं बोलते। उन्होंने आरोप लगाया कि एलजी ने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के जरिए पूरा नियंत्रण स्थापित कर रखा है और वह एक भी फाइल पास नहीं करते।