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नासिक। भारतीय वायुसेना (IAF) को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार कई आधुनिक विमानों को जोड़ रही है। इसी क्रम में वायुसेना के मार्क 1-ए लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने महाराष्ट्र के नासिक में तीसरी प्रोडक्शन लाइन शुरू की है। नासिक के ओझर में स्थित इस लाइन में बना पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ने शुक्रवार को अपनी पहली उड़ान भरी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका उदघाटन किया। इस प्रोडक्शन लाइन के जरिए वायुसेना को 2032-33 तक 180 तेजस विमानों की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी। दरअसल यहां हर साल आठ विमानों बनाए जा रहे हैं, जिसे बढ़ाकर अब 10 विमान किया जा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर एक तेजस मार्क-1ए की औसत कीमत करीब 600 करोड़ रुपए है। इस फाइटर जेट की रफ्तार 2205 किमी/घंटा यानी यह ध्वनि से भी करीब दोगुनी गित से उड़ान भरेगा है। वायुसेना के लिए तेजस विमान बना रही HAL को सितंबर माह में अमेरिका ने इसका चौथा इंजन भेजा था। वहीं इस फाइटर जेट की सबसे प्रमुख खूबियों में इसके विंग्स शामिल है। इनके विंग्स (पंखों) में 9 जगह मिसाइलें फिट होती हैं।
दरअसल वायुसेना लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। जहां पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती का मुकाबला करने के लिए वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की दरकार है। जबकि हाल ही में मिग 21 के रिटायर होने के बाद स्क्वॉड्रन की संख्या महज 29 बची हैं। इस लिहाज से इसकी कमी को पूरा करने के लिए स्वदेशी विमानों का तेजी से उत्पादन करना बेहद अहम हैं। तेजस मार्क-1ए तेजस एलसीए का आधुनिक संस्करण है। यह चौथी पीढ़ी का हल्का और ताकतवर लड़ाकू विमान है। दूसरी ओर वायुसेना भी कह चुकी है कि देश में किसी भी रक्षा प्रणाली को संकल्पना से तैनाती तक ले जाने की प्रक्रिया बेहद धीमी व तकलीफदेह है। हमारे वैश्विक साझेदार हमें हमेशा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी नहीं दे सकते, इसलिए रणनीतिक स्वायत्तता हासिल करने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों में भारत को लंबी छलांग लगाने की दरकार है।