Manisha Dhanwani
18 Dec 2025
मेवाड़ के शाही परिवार की संपत्तियों के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। यह मामला उदयपुर के सिटी पैलेस, HRH होटल्स ग्रुप और अन्य शाही संपत्तियों के नियंत्रण से जुड़ा है। विवाद महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी बेटी पद्मजा कुमारी परमार के बीच है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत की वैधता को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया गया कि यह मामला उत्तराधिकार और संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा है।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे मामलों को राजस्थान हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। वहीं, दूसरी ओर से जोधपुर बेंच, राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित मामलों को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजने की अपील की गई।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर यह तय किया गया कि परिवार से जुड़े सभी मामले अब दिल्ली हाईकोर्ट में सुने जाएंगे। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित दस्तावेज दिल्ली हाईकोर्ट भेजे जाएं। मामले की सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर परिवार के बीच कोई और मुकदमे लंबित हैं, तो उन्हें भी दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है।
सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि विवाद में भारी मात्रा में आभूषण और अन्य कीमती चल संपत्तियां शामिल हैं। इनकी सुरक्षा और प्रबंधन के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने से जुड़ा एक आवेदन भी लंबित है।
1930 से 1955 तक मेवाड़ रियासत पर महाराणा भूपाल सिंह का शासन रहा। उनकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने भगवत सिंह मेवाड़ को गोद लिया। भूपाल सिंह ने अपने अंतिम समय में, अप्रैल 1955 में, एकलिंगजी ट्रस्ट की स्थापना की।
भगवत सिंह मेवाड़ की तीन संतानें थीं- दो बेटे महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह, और एक बेटी योगेश्वरी कुमारी। साल 1983 में भगवत सिंह ने पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का फैसला किया, जिसका महेंद्र सिंह ने विरोध किया और कोर्ट चले गए।
इससे नाराज होकर भगवत सिंह ने संपत्ति और वसीयत से जुड़े अधिकार छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को सौंप दिए। इसके बाद महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से लगभग बाहर कर दिया गया।
3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद परिवार का संपत्ति विवाद और गहरा गया। यह कानूनी लड़ाई करीब 37 साल तक चली।
साल 2020 में उदयपुर की जिला अदालत ने संपत्ति को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। एक हिस्सा भगवत सिंह मेवाड़ के नाम और बाकी तीन हिस्से उनकी तीनों संतानों के बीच बांटे गए।
अदालत के फैसले तक ज्यादातर संपत्तियां अरविंद सिंह मेवाड़ के कब्जे में रहीं। महेंद्र सिंह और योगेश्वरी कुमारी को सीमित हिस्सा मिला। कोर्ट ने शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर रोक भी लगाई थी।
इसी साल 16 मार्च को अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन हो गया। उनकी तीन संतानें हैं- एक बेटा लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और दो बेटियां भार्गवी कुमारी मेवाड़ और पद्मजा कुमारी मेवाड़।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ मेवाड़ परिवार के उत्तराधिकारी और HRH ग्रुप ऑफ होटल्स के मालिक हैं। अब उनका संपत्ति विवाद अपनी बहन पद्मजा कुमारी मेवाड़ के साथ कोर्ट में चल रहा है।