Mithilesh Yadav
8 Sep 2025
Manisha Dhanwani
8 Sep 2025
नई दिल्ली/भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए एक रेप मामले में दोषी को 4 साल 7 महीने अतिरिक्त जेल में रखने पर 25 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। दोषी की सजा 2021 में पूरी हो गई थी, लेकिन लापरवाही के चलते उसे 2025 तक जेल में रखा गया। अदालत ने इसे गंभीर प्रशासनिक विफलता और अवैध हिरासत करार दिया है।
दरअसल, सागर जिले के रहने वाले सोहन सिंह को 2004 में एक रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। आरोपी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद साल 2007 में हाईकोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 7 साल कर दिया। लेकिन यह सजा 2021 में पूरी होने के बाद भी, सोहन सिंह को जेल से रिहा नहीं किया गया। वह बिना किसी वैध कारण के 4 साल 7 महीने ज्यादा जेल में बंद रहा।
इस मामले में सोहन सिंह की ओर से लीगल एड के माध्यम से केस की फाइल वरिष्ठ अधिवक्ता महफूज ए नाजकी तक पहुंची थी। जब उन्होंने जांच की तो 6 जून 2025 को सोहन सिंह की रिहाई हुई। इसके बाद महफूज ए. नाजकी ने सुप्रीम कोर्ट में मुआवजे की मांग रखी गई।
उन्होंने बताया कि कैसे राज्य सरकार की लापरवाही के चलते एक नागरिक को अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले को गंभीर चूक और चिंताजनक प्रशासनिक असफलता करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि ऐसी अवैध हिरासत किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। दोषी को उसकी सजा के अनुसार 2021 में ही रिहा कर देना चाहिए था, लेकिन सरकार की लापरवाही से वह 2025 तक जेल में रहा। साथ ही, कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि वह दोषी को 25 लाख रुपए का मुआवजा दे। वहीं, कोर्ट ने गृह विभाग, कारागार महानिदेशक, और संबंधित जेल अधीक्षक से यह जवाब भी मांगा है कि सजा पूरी होने के बाद भी रिहाई क्यों नहीं हुई।