अंतर्राष्ट्रीयताजा खबर

संत चिन्मय कृष्ण दास को हाईकोर्ट से मिली जमानत, देशद्रोह के आरोप में 5 महीने से थे जेल में, रिहाई अभी सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पर निर्भर

ढाका। बांग्लादेश के ढाका हाईकोर्ट ने देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत दे दी है। चिन्मय पिछले 5 महीनों से जेल में बंद थे। उनका नाम देशद्रोह के एक संवेदनशील मामले में सामने आया था, जिसमें उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। हालांकि, उनकी रिहाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगी।

कब और कैसे हुई गिरफ्तारी

25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया था, जब वे चटगांव की ओर जा रहे थे। इस दौरान मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने बताया कि गिरफ्तारी के समय पुलिस ने कोई वारंट नहीं दिखाया और उन्हें यह कहकर साथ ले गई कि केवल बात करनी है। चिन्मय को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) ने हिरासत में लिया और बाद में संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

क्या हैं आरोप

चिन्मय प्रभु पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। 25 अक्टूबर 2024 को चटगांव के लालदीघी मैदान में आयोजित एक रैली में कुछ प्रदर्शनकारियों ने न्यू मार्केट चौक स्थित आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया, जिस पर आमी सनातनी लिखा हुआ था। इस रैली को चिन्मय कृष्ण दास ने भी संबोधित किया था। 31 अक्टूबर को बीएनपी नेता फिरोज खान ने चिन्मय समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का मामला दर्ज कराया था।

चिन्मय प्रभु कौन हैं

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वो चटगांव स्थित इस्कॉन (ISKCON) के प्रमुख हैं। वे बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज बनकर उभरे हैं। अगस्त 2024 में बांग्लादेश में फैली सांप्रदायिक हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था, तब चिन्मय प्रभु ने सनातन जागरण मंच की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसके प्रवक्ता बने। उन्होंने रंगपुर और चटगांव में हजारों लोगों को संबोधित किया।

चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने 23 अप्रैल को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली, लेकिन अब अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस आदेश पर रोक नहीं लगाता, तो चिन्मय प्रभु की रिहाई संभव हो सकेगी।

ये भी पढ़ें- IPL 2025 : दिल्ली बनाम कोलकाता मैच के बाद कुलदीप ने रिंकू सिंह को मारा जोरदार थप्पड़! वायरल वीडियो से मचा बवाल, जानें पूरी सच्चाई 

संबंधित खबरें...

Back to top button