Mithilesh Yadav
18 Sep 2025
मनीष दीक्षित-भोपाल। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मध्यप्रदेश भाजपा में बड़ा बदलाव हो सकता है। विधानसभा चुनाव की वजह से जिन राज्यों में संगठनात्मक चुनाव रुके थे, वहां चुनाव होंगे। ऐसे में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हट सकते हैं। एक संभावना यह भी है कि आम चुनाव जीतने के बाद शर्मा को केंद्र स्तर पर नई भूमिका मिल सकती है। शर्मा के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद भी संगठनात्मक फेरबदल के दायरे में आ सकते हैं। आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता या सरकार के स्तर पर नई लीडरशिप दे दी है, अब बारी संगठन की होगी।
प्रदेश अध्यक्ष बदलते हैं तो पूरी टीम चेंज होगी। गौरतलब है कि वीडी शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 2021 के उपचुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के तख्तापलट के बाद हुए थे, नगरीय निकाय के चुनाव, विधानसभा के चुनाव और अब लोकसभा के चुनाव हुए हैं। इनमें अच्छी सफलता मिली है। इसलिए वीडी शर्मा-हितानंद की नई भूमिका जल्द तय होगी। यहां बता दें कि मध्यप्रदेश भाजपा में बदलाव की खबरें लंबे समय से चल रही हैं। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ राज्यों में संगठनात्मक बदलाव रोक दिया गया था। इसमें मप्र भी शामिल रहा।
वीडी शर्मा का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल फरवरी 2023 में ही पूरा हो गया है। यह उनका पांचवा साल चल रहा है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें एक्टेंशन दिया गया था। अब प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान जल्द ही हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के संविधान में अध्यक्षीय कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। इसके बाद चुनाव होते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर मंडल अध्यक्ष तक का चयन होता है।
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद यह संभावना खत्म हो गई है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद ओबीसी को दिया जाएगा। नए ब्राह्मण अध्यक्ष की दावेदारी भी वीडी शर्मा के अभी तक मुखिया रहने से कमजोर पड़ गई है। ऐसे में जनजातीय वर्ग या दलित वर्ग के साथ सामान्य वर्ग की बची हुई दूसरी जातियों की संभावना बढ़ गई है। हालांकि अंतिम फैसला दिल्ली हाईकमान लेगा। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी इस बार महत्वपूर्ण पदों पर तेज तर्रार लोगों को बैठाने पर विचार कर रही है।
पिछले कुछ साल देखें तो प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और अब वीडी शर्मा के कारण ग्वालियर-चंबल, निमाड़, महाकौशल को साधा गया है। विंध्य, बुंदेलखंड, मालवा और मध्य भारत जैसे क्षेत्र छूटे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद संगठन में फेरबदल के साथ ही डॉ. मोहन यादव मंत्रिमंडल के विस्तार की भी प्रबल संभावना है।